नए एनएच के नियम आसान करे केंद्र

शिमला— प्रदेश में नए एनएच के नियमों में सरलीकरण के लिए राज्य सरकार ने केंद्र से मुद्दा उठाया है। अभी तक केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय ने जो नियम निर्धारित किए हैं, उसके तहत एक कंसल्टेंट को दो निविदाएं ही दी जा सकती हैं। इससे ज्यादा नहीं। अब राज्य सरकार ने कंसल्टेंट द्वारा अन्य नए एनएच के लिए दिलचस्पी न दिखाए जाने के बाद केंद्रीय मंत्रालय से यह मुद्दा उठाया है कि नियमों में सरलीकरण किया जाए। इसके पीछे हिमाचल की विषम भौगोलिक परिस्थितियों का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि कई नए घोषित नेशनल हाई-वे की लंबाई इतनी नहीं है कि उन्हें दो या तीन कंसल्टेंट को सौंपा जा सके। होना यह चाहिए कि छोटी लंबाई युक्त एनएच को एक कंसल्टेंट को तीन या चार की संख्या में सौंपा जा सकता है। वरना इस कार्य में समय बहुत लग सकता है। राज्य सरकार ने 61 नेशनल हाई-वे के टेंडर आमंत्रित किए थे। इनमें से 24 के कंसल्टें ही फाइनल हो सके हैं। अन्य छोटी सड़कों के लिए कंसल्टेंट दो बार निविदाएं आमंत्रित करने के बाद भी नहीं पहुंच सके हैं, लिहाजा इस कार्य को गति देने के लिए अब केंद्रीय मंत्रालय को लिखा गया है। इस बारे में उच्च स्तरीय बैठक भी जल्द होने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक शेष बची सड़कों के लिए फिर से निविदाएं तो आमंत्रित की जाएंगी, मगर पहले केंद्रीय मंत्रालय के जवाब का इंतजार होगा। अन्य 24 सड़कों की रिपोर्ट फाइनल कर दी गई है। अब इन्हें अनुमोदन के लिए दिल्ली भेजा जा रहा है। हालांकि इस पूरे कार्य के लिए पहले ही केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय ने 230 करोड़ की राशि राज्य को मंजूर कर दी है। अब जो कंसल्टेंट नियुक्त होंगे, उनकी कुल फीस भी केंद्रीय मंत्रालय ही अदा करेगा। ऐसी पूरी औपचारिकताओं के लिए लोक निर्माण विभाग का एक चीफ इंजीनियर स्तर का अधिकारी दिल्ली भेजा जा रहा है। बहरहाल, हिमाचल में पिछले वर्ष जून महीने से सियासत का सबब बन रहे नए नेशनल हाई-वेज की दिक्कत यह है कि केंद्र सरकार ने जो सख्त नियम बनाए हैं, वे हिमाचल के लिए मुश्किलें पेश कर रहे हैं। अब हिमाचल के आग्रह पर केंद्र नियमों का सरलीकरण करता है, यह देखने वाली बात होगी।