नशे के नरक में युवा

( राजेश सोनी, कुठेड़ा, बिलासपुर )

नशे की गिरफ्त में जिस तरह आज की पीढ़ी फंस रही है, वह अपना भविष्य तो अंधकार में धकेल ही रही है, पर साथ-साथ आसपास के समाज को भी बर्बाद कर रही है। आज हालात ये हो गए हैं कि समाज के जागरूक व्यक्ति भी इनका विरोध करने की हिम्मत नहीं कर पा रहे। कोई भी इस नशा गैंग के साथ उलझ कर अपनी शांति भंग नहीं करना चाहता। अपने-अपने इलाके का सब को पता है कि इस धंधे में कौन-कौन लिप्त हैं और कौन युवाओं को नशे की खेप बेचता है। शायद हमारा कानून इतना सख्त नहीं, जितना होना चाहिए। कभी कोई पकड़ा भी जाता है, तो दो-चार दिनों में छूट कर आ जाता है, फिर तो वह पहले से ज्यादा इस धंधे को चलाने लगता है। शायद जो पहले थोड़ा-बहुत कानून और पुलिस का डर उसके मन में होता था, वह भी चला जाता है। अब उसे फंसने का कोई भय नहीं रहता, क्योंकि वह छूटने के रास्ते से परिचित हो गया होता है। अगर समाज को अपनी पीढ़ी को इस नरक में डूबने से बचाना है, तो एकजुट होकर सरकार और पुलिस का साथ देना होगा। इन नशा बेचने वालों के खिलाफ मुहिम चला कर इन्हें अपने-अपने समाज में बेनकाब करके सामाजिक डर पैदा करना होगा। समाज को भी अपनी सोच बदलनी होगी। अगर पड़ोसी का बच्चा बिगड़ रहा है, तो ‘बिगड़ता रहे, हमें क्या’ वाली मानसिकता में जीते हुए यह नहीं भूलना चाहिए कि एक दिन यही सोच हमें महंगी पडे़गी, क्योंकि इसकी वजह से पड़ोस, गांव और फिर पूरे समाज की मुश्किलें बढ़ेंगी। सरकार और पुलिस चाहे तो सख्त कानून बनाकर इस धंधे को करने वालों के खिलाफ गैर जमानती कानून बनाकर एक महीने में लगाम लगा सकती है। जिस तरह स्वच्छता अभियान चलाया गया है, उसी तरह समाज और सरकारों को नशा मुक्ति अभियान चला कर हर तबके के लोगों को शामिल कर जागरूकता लानी होगी।