बीजेपी को राम का नहीं, मोदी का सहारा

अयोध्या- फैजाबाद विधानसभा क्षेत्र में पहुंचते ही साफ दिखने लगता है कि यहां सत्तारूढ़ दल को कड़ी चुनौती मिल रही है। मुख्यमंत्री के नजदीकी तेज नारायण पांडेय उर्फ पवन पांडेय चुनाव मैदान में हैं। 2012 के विधानसभा चुनाव में वह पहली बार जीते और अखिलेश सरकार में मंत्री भी बने। समाजवादी खेमे को लगता था कि पवन पांडेय वह गढ़ बीजेपी से छीन कर लाए थे, जिस पर संघ परिवार को बड़ा नाज था। अयोध्या में एसपी की जीत पूरे देश में संदेश देने वाली थी कि भगवा पार्टी अपने ही गढ़ में हार गई है। पिछले छह चुनावों में अयोध्या सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीत रहे लल्लू सिंह की हार संघ परिवार के लिए बड़ा झटका था। इस बार सवाल उठ रहे हैं कि क्या बीजेपी अपने खोए दुर्ग को वापस पा लेगी? पिछले दिनों बीजेपी के कुछ नेताओं ने राम मंदिर मुद्दा भी उछाला, लेकिन यहां पहुंचने पर अहसास हो गया कि मंदिर मुद्दे पर कोई बात नहीं करना चाहता। यहां तो मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा जा रहा है। बीजेपी मोदी लहर के रथ पर सवार है और विपक्षी इसकी काट ढूंढ रहे हैं। चौक चौराहे पर मजदूरी के लिए आए रमेश कहते हैं कि बज्मी अच्छा चुनाव लड़ रहे हैं, दलित वोट तो उनको मिल ही रहा है, मुसलमान भी उनको वोट दे रहा है। देखो इस बार शायद हाथी निकल जाए।