मंजूरी को भेजे 400 मिलियन डालर के प्रोजेक्ट

प्राकृतिक जल स्रोतों के विकास-संरक्षण के साथ पेयजल-सिंचाई पर होगा काम

 शिमला — राज्य सरकार ने 400 मिलियन यूएस डालर के दो बड़े प्रोजेक्ट मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को प्रेषित कर दिए हैं। यूएनएफसीसी (यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज) के तहत  यह राशि ग्रीन क्लाइमेट फंड बोर्ड के अंतर्गत मंजूर की जाएगी। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार ने ये बड़े प्रोजेक्ट तैयार करके नाबार्ड को भेजे थे, जिसने दो रोज पहले ही इन प्रोजेक्टों को स्वीकृति के लिए केंद्रीय वन मंत्रालय को भेज दिया है। सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग ने यह प्रोजेक्ट कम्युनिटी बेस्ड वाटर हार्वेस्टिंग व नेचुरल वाटर रिसोर्स मैनेजमेंट के तहत तैयार किया है। इस परियोजना को नाम भी यही दिया गया है। यानी ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक जल स्रोतों के विकास व संरक्षण के साथ-साथ पेयजल व सिंचाई की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस पर कार्य होगा। आईपीएच विभाग का यह प्रोजेक्ट 200 मिलियन यूएस डालर का होगा, वहीं वन विभाग का प्रोजेक्ट भी इतनी ही राशि का है। इसे हिमाचल प्रदेश क्लीन रेव्युलेशन व फोरेस्ट मैनेजमेंट का नाम दिया गया है। इसके अंतर्गत रिवर बैंक प्रोटेक्शन कार्यों के साथ-साथ ग्रामीण लोगों की जंगलों पर निर्भरता को कम करने के लिए कार्य होंगे। वन विभाग द्वारा इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत जो वनीकरण किया जाएगा, उसकी सफलता को सुनिश्चित करने के लिए विशेष रणनीति तैयार होगी। यानी वन विभाग 200 मिलियन यूएस डालर के इस प्रोजेक्ट के तहत न्यूनतम कार्बन उत्सर्जन रणनीति के तहत कार्य करेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों को अपनाने के लिए जागरूक किया जाएगा। उनकी मदद भी होगी, ताकि परंपरागत ऊर्जा साधनों से फैलने वाले प्रदूषण पर रोक लगाई जा सके। दोनों ही प्रोजेक्ट््स के तहत ग्रामीण व दूरदराज के क्षेत्रों में जीविकोपार्जन के लिए कई योजनाएं भी शुरू की जाएंगी। राज्य सरकारें ये प्रोजेक्ट यूएनएफसीसीसी को मंजूरी के लिए भेजती हैं, जिसकी नोडल एजेंसी केंद्र सरकार है। हर देश में इसके लिए ग्रीन क्लाईमेट फंड बोर्ड गठित किया गया है, जो साल में होने वाली बैठक में राज्यों द्वारा भेजे जाने वाले इन प्रोजेक्ट्स को मंजूरी देता है।