मतदान में आया उछाल

( डा. राजेंद्र प्रसाद शर्मा, जयपुर (ई-पेपर के मार्फत) )

हम भले ही दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का दावा करें, पर लाख प्रयासों के बावजूद लोकतंत्र के प्रति आम आदमी की निष्ठा अभी तक परिलक्षित नहीं हो रही है। पांच राज्यों के मतदान के आंकड़े आईना दिखाने के लिए काफी हैं। गोवा, पंजाब, उत्तराखंड और मणिपुर में चुनावों के लिए मतदान का काम पूरा हो चुका है, वहीं उत्तर प्रदेश के सात चरणों में से चार चरणों के मतदान पूरे हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश के चार चरणों के मतदान से हम फूले नहीं समा रहे हैं, क्योंकि हमें गर्व इसी बात पर हो रहा है कि गत चुनावों से कुछ फीसदी अधिक मतदान हुआ है। अब तक के चार चरणों में मतदान का प्रतिशत पहले चरण में 64.22, दूसरे चरण में 65.29, तीसरे चरण में 61.16 प्रतिशत और चौथे चरण में 61 फीसदी मतदान हुआ है। इससे पहले गोवा में अवश्य मतदान का आंकड़ा 83 फीसदी पहुंचा, वहीं पंजाब में 70 प्रतिशत मतदान हुआ, जो कि पहले की तुलना में कम है। यह सब तो तब है, जब पिछले दिनों ही सर्वोच्च न्यायालय की एक महत्त्वपूर्ण टिप्पणी आई थी कि जो मतदान नहीं करते, उन्हें सरकार के खिलाफ कुछ कहने या मांगने का भी हक नहीं है। आखिर क्या कारण है कि शत-प्रतिशत मतदाता मतदान केंद्र तक नहीं पहुंच पाते? हम बड़े गर्व से दावे कर रहे हैं कि इस बार सर्वाधिक प्रतिशत लोगों ने लोकतंत्र के इस यज्ञ में आहुति दी है। मतदान के पुराने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। उत्तर प्रदेश में अभी 141 सीटों के लिए तीन चरणों का मतदान होना है। ऐसे में शेष चरणों के मतदान में अधिक से अधिक मतदाताओं को मतदान केंद्र तक जाने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है। चुनाव आयोग को ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सोचना होगा कि हर जन मतदान करे और मतदान का प्रतिशत नब्बे प्रतिशत के आंकड़े को पार करे।