अब टेस्ट मैच का गवाह

(स्वास्तिक ठाकुर, पांगी, चंबा)

वन डे और टी-ट्वेंटी के बाद धर्मशाला में पहली बार टेस्ट मैच हो रहे हैं। कभी सोचा भी न था कि हिमाचल स्टेडियम की वजह से दुनिया में जाना जाएगा और धर्मशाला विश्व के करोड़ों लोगों की आंखों में छा जाएगा। एक छोटा सा पहाड़ी प्रदेश आज पहाड़ जैसे पायदान पर खड़ा है। जिन क्रिकेट स्टारों को पहले हम सिर्फ टेलीविजन पर ही देखते थे, आज वह धर्मशाला आम देखे जाते हैं। फख्र इस बात का कि अब दुनिया के टॉप क्रिकेट खिलाड़ी धर्मशाला की जमीन पर पसीना बहा रहे हैं। यह मंजर तो तब है, जब राजनीति ने इस मुकाम को कई कदम पीछे लौटा दिया। अगर क्रिकेट में राजनीति का दखल नहीं होता, तो ये बुलंदियां कुंद नहीं होती। धर्मशाला को कुछ मिलते ही इसकी टांग खींचने के लिए राजनीति आगे आ जाती है। हम ने भारत-पाक मैच खोया। स्वार्थी नेताओं ने शहीदों के परिजनों के कंधों पर बंदूक रखकर गोली चलाई और वह मैच कोलकाता की झोली में चला गया। अब वो राजनेता भी नजर नहीं आ रहे। धर्मशाला में मैच होने का सीधा संबंध हमारी प्रगति से है। पर्यटन कारोबार बढ़ेगा, रोजगार के अवसर मिलेंगे। अब भी समय है कि धर्मशाला में क्रिकेट के माहौल को बनाने और बढ़ाने का प्रयत्न किया जाए, न कि एक दूसरे को नीचा दिखाने की दलीलें दी जाएं। खेल को राजनीतिक चश्मे से न देखा जाए।