ऊर्जा नीति में फिर संशोधन की तैयारी

 शिमला— हिमाचल प्रदेश की पावर पालिसी में फिर से संशोधन की तैयारी चल रही है। पालिसी में मौजूद नियमों के तहत बिजली बोर्ड 100 किलोवाट क्षमता के प्रोजेक्टों की बिजली खरीदने को बाध्य नहीं है, परंतु उत्पादन करने पर ये उत्पादक अपनी बिजली कहां बेचें, इसे लेकर परेशानी है और यही कारण है कि अब ऊर्जा नीति में संशोधन किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार इस मामले को लेकर हिम ऊर्जा की ओर से एक प्रस्ताव सरकार को गया है, जिसमें पावर पालिसी में संशोधन की बात कही गई है। क्योंकि हिम ऊर्जा के अधीन ये प्रोजेक्ट आते हैं और हाल ही में हिम ऊर्जा ने 100 किलोवाट के 55 प्रोजेक्ट अलाट किए हैं। नियमों में है कि ये उत्पादक अपनी बिजली का उत्पादन करें और खुद इसका इस्तेमाल करें, लेकिन ये उत्पादन पूरी उत्पादित बिजली का इस्तेमाल खुद नहीं कर सकते। ऐसे में बिजली बच जाएगी, जिसे वह किसी को बेच भी नहीं सकते हैं। लिहाजा अब बिजली बोर्ड पर उनकी बिजली को खरीदने का दवाब बन रहा है। बताया जाता है कि केंद्र सरकार इन प्रोजेक्टों के लिए सबसिडी देगी, लिहाजा वह भी चाहेगी कि इनकी बिजली को बेचा जाए। क्योंकि ऐसी शर्तों के आधार पर इनको सबसिडी लेने में भी दिक्कत आएगी। इस कारण से अब राज्य सरकार को नियमों में संशोधन के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। देखना होगा कि प्रदेश सरकार इसमें कब तक संशोधन करती है। वैसे उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार नियमों में संशोधन जल्द ही कर दिया जाएगा, परंतु इसका दबाव बिजली बोर्ड पर पड़ेगा, जिसकी खुद की माली हालत ठीक नहीं है। इस पर अब इन 100 किलोवाट क्षमता के उत्पादकों की बिजली खरीदने का दबाव भी उस पर होगा। कम उत्पादन करने वाले प्रोजेक्टों की बिजली भी बोर्ड को ही खरीदनी पड़ रही है और हर साल छोटे उत्पादक बिजली की खरीद दर को बढ़ाने का दबाव बनाते हैं। इस साल भी नए टैरिफ में बढ़ोतरी को छोटे उत्पादकों ने मामला उठा रखा है।