किसानों की आय दोगुनी करने को पहल

कृषि विश्वविद्यालय ने एक दर्जन उद्यमों की पहचान कर सरकार को भेजे प्रस्ताव

पालमपुर— छोटे व मझोले किसानों की आर्थिकी सुधारने के लिए कृषि विश्वविद्यालय महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है तथा लाभदायक तकनीकों को बढ़ावा देने पर बल दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री द्वारा की गई पहल पर किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए लगभग एक दर्जन उद्यमों की पहचान की गई है और सरकार को इसके बारे प्रस्ताव भेजे गए हैं। इस बात का खुलासा प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में अनुसंधान व प्रसार परिषद की बैठकों की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने किया। प्रो. सरयाल ने कहा कि किसानों को भी सरकारी व गैर सरकारी एजेंसियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मिलजुल कर कार्य करना होगा। विवि ने कृषि व पशुपालन की कई तकनीकें विकसित कर संबंधित विभागों व किसानों को हस्तांतरित की हैं। सभी कृषि विज्ञान केंद्र इसके लिए भरपूर कार्य कर रहे हैं और शून्य लागत खेती पर कृषि विज्ञान केंद ऊना व कुल्लू में कार्य शुरू हो चुका है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के लुधियाना स्थित कृषि तकनीक अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान ने प्रत्येक कृषि विज्ञान केंद्र को ‘समन्वित कृषि तंत्र’ प्रदर्शन के लिए छह-छह लाख रुपए उपलब्ध करवाए हैं। प्रो. सरयाल ने जल के सही उपयोग, फसल कटाई उपरांत उपज के विपणन, मधुमक्खी पालन, मशरूम की खेती, कुक्कुट पालन तथा पशुपालन आदि उद्यमों के महत्त्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।

11 उन्नत किस्मों का विकास

शोध निदेशक डा. आरएस जम्वाल ने बताया कि गेहूं, धान, जौ, तिलहन, टमाटर इत्यादि की 11 उन्नत किस्मों का विकास किया गया है। इनमें से हिमाचल प्रदेश के किसानों के लिए नौ किस्मों की सिफारिश कर दी गई है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में इस समय 43 करोड़ रुपए की शोध परियोजनाएं चल रही हैं। 185 करोड़ रुपए की शोध परियोजनाएं मंजूरी हेतु विभिन्न फंडिंग एजेंसियों को भेजी गई हैं। प्रसार शिक्षा निदेशक डा. पीके मेहता के अनुसार विवि में सभी प्रशिक्षण कार्यक्रम भारतीय कृषि कौशल परिषद के मानकों के अनुसार पुनः दिशा-निर्देशित किए गए हैं। डा. मेहता ने बताया कि ‘मेरा गांव, मेरा गौरव’ कार्यक्रम के अंतर्गत आठ गांवों को अपनाया गया है।