केसरिया होली

भाजपा ने जीता यूपी-उत्तराखंड; गोवा-मणिपुर में खिचड़ी, पंजाब में कांग्रेस सरकार

नई दिल्ली— पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों की घोषणा के साथ ही होली से पहले ही देश भर में केसरिया रंग बिखर गया। शनिवार को घोषित नतीजों में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में भाजपा सरकार बनना तय है, वहीं मणिपुर और गोवा में किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। यूपी और उत्तराखंड में भाजपा को तीन-चौथाई जनादेश हासिल हुआ है। दरअसल यह जनादेश प्रधानमंत्री मोदी के नाम और उनके नेतृत्व का है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा व मणिपुर में विधानसभा की 690 सीटों पर चुनाव हुए थे। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को कुल 325 सीटें हासिल हुई हैं, जबकि सत्ता से बाहर हो रही सपा और कांग्रेस का गठबंधन सिर्फ 54 सीटों तक ही सिमट कर रह गया है। कांग्रेस के हिस्से मात्र सात सीटें ही आई हैं। बीती विधानसभा में कांग्रेस के 28 विधायक थे। यूपी में कांग्रेस की यह सबसे शर्मनाक हार है। मायावती की बसपा 19 सीटें भी जीत नहीं पाई। अब उसे अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़नी पड़ेगी। यह नतीजा देखकर लगता है कि मुसलमानों, पिछड़ों और गैर-जाट व दलितों ने बसपा को वोट ही नहीं दिए। नतीजतन यह वोट बैंक भाजपा के पक्ष में खिसक गया लगता है। यूपी के अलावा उत्तराखंड में भी भाजपा को कुल 70 में से 57 सीटें मिली हैं। सरकार में रही कांग्रेस मात्र 11 सीटों पर ही सिमट कर रह गई है। कांग्रेस को उसके करीब एक दर्जन बड़े नेताओं का भाजपा में शामिल होने का खामियाजा भुगतना पड़ा है। उत्तराखंड बनने के बाद पहली बार कांग्रेस को ऐसा सूपड़ा-सा साफ होने सरीखा जनादेश मिला है। अन्य को मात्र दो सीटें गई हैं। इस पहाड़ी राज्य की बगल में बसा राज्य है पंजाब, वहां कांग्रेस को 77 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत हासिल हुआ है और सिर्फ 20 सीटों के साथ आम आदमी पार्टी के तमाम दावे ढेर हो गए हैं। केजरीवाल और उनके साथियों को यकीन था कि पंजाब में 90 सीटें तक मिलेंगी। लगातार 10 साल सत्ता में रहने वाले अकाली दल-भाजपा गठबंधन के खिलाफ लहर स्वाभाविक थी। एग्जिट पोल में उसे सात सीटें ही दी जा रही थीं, लेकिन 18 सीटों के साथ उसने अच्छा संघर्ष किया है। पंजाब के जनादेश पर कांग्रेस मुस्करा सकती है। मुख्यमंत्री बनने वाले कैप्टन अमरेंदर सिंह को जन्मदिन के इस नायाब तोहफे पर प्रधानमंत्री मोदी ने फोन कर बधाई दी और नई सरकार को शुभकामनाएं दीं। गोवा और मणिपुर दोनों ही छोटे राज्य हैं। मणिपुर पूर्वोत्तर में एक पहाड़ी प्रदेश है, जो उग्रवाद से छिला रहा है। मणिपुर और गोवा में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला दिख रहा है। यहां सरकार की तस्वीर तो साफ नहीं हो पाई। गोवा में 40 सीटों के मुकाबले में भाजपा को 13 सीटें मिली है, जबकि कांग्रेस को 17 सीटें हासिल हुई है और अन्य के खातों में 10 सीटें है। वहीं, मणिपुर में 60 सीटों के मुकाबले कांग्रेस 28 सीटों के साथ शीर्ष पर है, जबकि भाजपा को यहां 21 सीटें मिली हैं। वहीं, यहां अन्य के खातों में सात और एनपीएफ को चार सीटें हासिल हुई है।

शीर्ष पदों पर भगवा छटा

भाजपा के जनादेश के मायने राष्ट्रीय भी हैं। इसी 25 जुलाई से पहले ही देश के नए राष्ट्रपति का चुनाव किया जाना है। उसके कुछ अंतराल बाद ही उपराष्ट्रपति भी चुना जाना है,  जिस तरह का जनादेश भाजपा के पक्ष में आया है, उसके मद्देनजर दोनों ही शीर्ष संवैधानिक पदों पर ‘केसरिया चेहरा’ बिठाया जा सकता है। इसी साल संसद की राज्यसभा में 10 सीटें उत्तर प्रदेश से ही खाली होनी हैं और 2018 में उच्च सदन में 68 सीटें खाली होनी हैं, लिहाजा अब राज्यसभा का गणित भी बदल सकता है और भाजपा अपने बूते बहुमत की ओर बढ़ सकती है। भाजपा अध्यक्ष इस जनादेश को देश की आजादी के बाद का सबसे बड़ा जनादेश मान रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि विपक्ष ने 2019 के लोकसभा चुनावों की हार अभी से स्वीकार करनी शुरू कर दी है।