ज्योतिष और वनस्पति जड़ें

आपकी कुंडली में यदि गुरु, राहु द्वारा युक्त है, राहु द्वारा दृष्ट है या नीच का होकर मकर राशि में है, तो शुद्ध और ताजी हल्दी की गांठ पीले धागे में, पुनवर्सु नक्षत्र वाले दिन कृष्ण भगवान या बृहस्पति देव जी की पूजा कर के ॐ बृं बृहस्पतये नमः मंत्र का जप करके धारण करें। व्यवसाय, नौकरी, विवाह संबंधी समस्या और लिवर संबंधी रोगों में लाभ होगा।यदि आपकी कुंडली में शुक्र अष्टम भाव में है या नीच का होकर कन्या राशि में है, तो आप सरपोंखा की जड़, भरणी नक्षत्र वाले दिन सफेद धागे से सायंकाल के समय लक्ष्मी जी का पूजन कर ॐ शुं शुक्राय नमः मंत्र का जाप कर के धारण करें। संतानहीनता,कर्ज की अधिकता और धन के अभाव जैसी समस्या से मुक्ति मिलेगी. आपकी कुंडली में यदि शनि सूर्य युक्त है,सप्तम भाव में है या नीच का होकर मेष राशि में है तो आप अनुराधा नक्षत्र वाले दिन बिच्छू या बिच्छौल की घांस को नीले धागे से काली जी की पूजा के पश्चात ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप कर के धारण करें। कार्यां में हो रहे विलंब,कानूनी अड़चन और रोगों से मुक्ति मिलेगी।

राहु : आपकी कुंडली में राहु लग्न, सप्तम या भाग्य स्थान में है, तथा शुभ ग्रहों से युक्त है तो आप आर्द्रा नक्षत्र वाले दिन चंदन की लकड़ी का टुकड़ा शिव जी का अभिषेक कर के भूरे धागे में ॐ रां राहवे नमः मंत्र का जाप कर के धारण करें। रोग,चिड़चिड़ापन, क्रोध, बुरी आदतों तथा अस्थिरता से मुक्ति मिलेगी। यदि आपकी कुंडली में केतु,चंद्र या मंगल युक्त होकर लग्नस्थ है तो आप अश्विनी नक्षत्र वाले दिन गणेश जी का पूजन करने के पश्चात शुद्ध की हुई असगंध या अश्वगंधा की जड़, ॐ कें केतवे नमः मंत्र का जाप करने के पश्चात, नारंगी धागे से धारण करें। चर्म संबंधी रोग, किडनी रोगों और वैवाहिक समस्याओं में लाभ होगा। याद रखें कि समस्या की पूर्ण मुक्ति के लिए आपको मंत्रों का जाप प्रतिदिन करना होगा। इसके अतिरिक्त ग्रह और उनसे संबंधित दान सामग्री में वनस्पतियों का महत्त्वपूर्ण स्थान रहता है। यदि आपको कोई ग्रह परेशान कर रहा है, तो संबंधित जड़ को धारण करने के पश्चात उस से संबंधित वस्तुओं का गरीब और असहाय लोगों को दान करने से भी लाभ होता है। सूर्य  की विपरीत में  माणिक्य, लाल वस्त्र, लाल पुष्प, लाल चंदन, गुड़, केसर अथवा तांबा का दान करें। चंद्र की प्रबलता के लिए बांस की टोकरी, चावल, श्वेत वस्त्र, श्वेत पुष्प, घी से भरा पात्र, चांदी, मिसरी, दूध, दही का दान करें। मंगल ग्रह के कारण जीवन में पीड़ा हो तो  मूंगा, गेहूं, मसूर, लाल वस्त्र, कनेर पुष्प, गुड़, तांबा, लाल चंदन, केसर इत्यादि का दान करना चाहिए। बुध की प्रबलता  हरे मूंग, हरा वस्त्र, हरा फल, पन्ना, केसर, कस्तूरी, कपूर, घी, मिसरी, धार्मिक पुस्तकों इत्यादि का दान करना चाहिए। गुरु की मजबूती के लिए घी, शहद, हल्दी, पीत वस्त्र, शास्त्र पुस्तक, पुखराज, लवण, कन्याओं को भोजन, इत्यादि दान करना चाहिए। शुक्र को प्रबल बनाने के लिए सफेद वस्त्र, श्वेत स्फटिक, चावल, सुगंधित वस्तु, कपूर अथवा पुष्प, घी- शक्कर- मिसरी-दही का दान करें।   तिल, सभी तेल, लोहा धातु, छतरी, काली गाय, काला कपड़ा, नीलम, जूता,कंबल इत्यादि के दान से शनि प्रसन्न होते हैं। राहु की प्रसन्नता के लिए  गेहूं, उड़द, काला घोड़ा, खडग़, कंबल, तिल, लौह, सप्त धान्य, अभ्रक इत्यादि का दान करें। केतु की प्रसन्नता के लिए तिल, कंबल, काला वस्त्र तथा पुष्प, सभी तेल, उड़द, काली मिर्च, सप्तधान्य का दान करें।