दियोटसिद्ध में वन विभाग के कब्जे नहीं

मंडलायुक्त मंडी की अदालत ने डीएफओ का फैसला पलटा, याचिकाकर्ताओं को राहत

हमीरपुर —  बाबा बालकनाथ दियोटसिद्ध में वन विभाग के कब्जों पर डीएफओ हमीरपुर के सुनाए फैसलों को पलट दिया गया है। मंडलायुक्त मंडी की अदालत ने अपने पारित आदेशों में कहा है कि दियोटसिद्ध में वन विभाग के कब्जे नहीं हैं। इस कारण डीएफओ हमीरपुर की कोर्ट के अधीन इन मामलों की सुनवाई नहीं हो सकती थी। मंडलायुक्त ने इसे राजस्व विभाग का मामला करार देते हुए इन मामलों को तहसीलदार बड़सर की कोर्ट में भेजा है। अहम है कि डीएफओ हमीरपुर की कोर्ट ने दियोटसिद्ध में चार अलग-अलग मामलों में वन विभाग के कब्जे करार दिए थे। इस आधार पर डीएफओ की अदालत ने चारों कब्जों को खाली करने का फैसला सुनाया था। इसके विरोध में मंडलायुक्त पहुंचे प्रभावितों ने कहा था कि उनकी भूमि वन विभाग के दायरे में आती ही नहीं है। याचिकाकर्ताआें ने इसके लिए राजस्व विभाग के दस्तावेज भी प्रस्तुत किए। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मंडलायुक्त मंडी ने कहा कि वन विभाग हिमाचल प्रदेश पब्लिक प्रेमिसिज एंड लैंड (एविक्शन एंड रेंट रिकवरी) एक्ट, 1971 के तहत वन विभाग के कब्जों की सुनवाई कर सकता है। दियोटसिद्ध के ये मामले एक्ट 163 के दायरे में आते हैं। लिहाजा इन केसों की सुनवाई तहसीलदार बड़सर की कोर्ट में की जाए। बहरहाल, मंडलायुक्त के इस फैसले के बाद फिलहाल याचिकाकर्ताआें को राहत मिल गई है। हालांकि अब चारों मामलों में तहसीलदार कोर्ट में यह पड़ताल होगी कि दियोटसिद्ध के कब्जे सरकारी जमीन पर हुए हैं या नहीं। शिकायत के आधार पर वन विभाग ने चार अलग-अलग लोगों के विरुद्ध फोरेस्ट लैंड के कब्जे के केस बनाए हैं। लंबे समय से ये मामले डीएफओ हमीरपुर की कोर्ट में विचाराधीन थे। सभी पक्षों की सुनवाई के बाद डीएफओ ने दियोटसिद्ध के चारों मामलों को अवैध कब्जा करार देकर खाली करवाने के आदेश पारित किए हैं। इसे अब मंडलायुक्त मंडी की कोर्ट में पलट दिया है।