नकल को नकारें

( सूबेदार मेजर (से.नि.) केसी शर्मा, गगल )

जब हम शिक्षा की गुणवत्ता पर चिंतन युक्त मंथन करते हैं, तब हमारी घोर आपत्ति नकल को लेकर है। परीक्षाओं में नकल मात्र एक अभिशाप है। इस अभिशाप से मुक्त होकर ही हम ईमानदारी से शिक्षा में गुणवत्ता हेतु सुधारों के बारे में हम सोच सकते हैं। परीक्षाओं में नकल न हो, इसका मुकम्मल दायित्व अभिभावकों का ही नहीं है। जवाबदारी अध्यापकों की भी बनती है। अध्यापकों पर भी अंगुली उठती है कि वे नकल को स्वयं प्रोत्साहित करते हैं। अगर ऐसा है तो गुणकारी शिक्षा की कल्पना करना भी बेकार है। परीक्षा भवनों के अंदर-बाहर अनुशासन बनाए रखना हम सबका कर्त्तव्य है। शिक्षा विभाग कई बार उड़नदस्ते तैनात कर नकलचियों को पकड़ने की कोशिश तो करते हैं, परंतु पूर्व सूचना मिलते ही दोषी सतर्क हो जाते हैं। उड़नदस्तों की तैनाती और उनका कार्यक्रम गुप्त रखना शिक्षा विभाग का काम है। उम्मीद है कि अध्यापक, अभिभावक और खुद विद्यार्थी इस बार नकल को नकारेंगे।