नाथुला मार्ग से करें तीर्थ यात्रा

दक्षिण सिक्किम में नामची के पास बना सिद्धेश्वर धाम भी अद्भुत नजारा पेश करता है। जहां एक सौ आठ फुट ऊंची शिव प्रतिमा के साथ बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का लाभ मिलता है…

कैलाश मानसरोवर के लिए चीन सीमा पर नाथूला मार्ग खुलने से यहां धार्मिक पर्यटन को और बढ़ावा मिला है तथा इस यात्रा से वंचित लोग एक बार फिर नाथूला मार्ग से तीर्थ यात्रा कर सकते हैं। इस पूरे मार्ग में बर्फ की झील और बर्फ  से लदे पहाड़ पर्यटकों के लिए प्रकृति की अनूठी देन हैं। पर्यटक इन स्थलों पर अपनी उपस्थिति को कैमरे में कैद करना नहीं भूलते। नाथूला में भारतीय पर्यटकों की संख्या काफी रहती है, लेकिन सामने चीन की तरफ  से कोई हाथ मिलाने वाला भी नहीं दिखाई देता। पर्यटक दूर से ही कैलाश मानसरोवर के रास्ते को निहारते हैं तथा सोचते हैं कि एक दिन उन्हें भी तीर्थ स्थल देखने का मौका मिलेगा। नाथूला के रास्ते में मौसम साफ होने पर पवित्र पर्वत कंचनजंगा के दर्शन भी हो जाते हैं। इसके अलावा मौसम में बदलाव के नजारे भी कम आकर्षक नहीं होते। गंगटोक से निकलते ही गणेश टोक एवं हनुमान टोक भी पर्यटकों को काफी लुभाते हैं। दक्षिण सिक्किम में नामची के पास बना सिद्धेश्वर धाम भी अद्भुत नजारा पेश करता है। जहां एक सौ आठ फुट ऊंची शिव प्रतिमा के साथ बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का लाभ मिलता है। यहां एक स्थान पर चार धाम की यात्रा का पुण्य कमाने के लिए दूरदराज से लोग आते हैं। इसी तरह पास के ही एक पहाड़ पर बनी एक सौ पैंतीस फुट ऊंची बौद्ध गुरु पद्मसंभव की मूर्ति के दर्शन करना भी लोग नहीं भूलते।

सिक्किम सरकार इन दोनों धर्म स्थलों को जोड़ने के लिए रोप-वे की योजना बना रही है। चाय के बागान और हरे-भरे खूबसूरत पेड़ों से लदे पहाड़ सिक्किम के लिए प्रकृति की अद्भुत देन हैं इस बीच पानी के झरने भी मनमोहक नजारा पेश करते हैं।  सूत्रों के अनुसार 1994 तक पर्यटक सिक्किम की तरफ  देखना भी पसंद नहीं करते थे क्योंकि यहां सड़कें तथा होटलों का अभाव था। वर्ष 2002 के बाद आधारभूत सुविधाएं बढ़ाने के साथ नए पर्यटन स्थलों पर ध्यान देने से पर्यटकों की आवक होने लगी तथा आज लाखों पर्यटक सिक्किम आते हैं। पर्यटन मंत्रालय के मुताबिक देश में आने वाले विदेशी पर्यटकों में 37 प्रतिशत से ज्यादा लोग सिक्किम आना नहीं भूलते।   सिक्किम सरकार ने ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्त्व के स्थलों का पुनरुत्थान करने के साथ चार धाम जैसे कई धार्मिक महत्त्व के पर्यटन स्थलों का निर्माण कराया है। सिक्किम में हिंदू तथा बौद्ध धर्मावलंबियों में काफी मेलजोल होने से दोनों धर्मों के धार्मिक स्थल फल फूल रहे हैं, जो सांप्रदायिक सौहार्द की भी एक मिसाल है।