बजट सत्र से एचपीयू को आस

वित्तीय संकट से उबरने के लिए 110 करोड़ की दरकार

शिमला  —  प्रदेश सरकार द्वारा 10 मार्च को विधानसभा में पेश किए जाने वाले बजट पर इस बार हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की नजरें टिकी हैं। एचपीयू का वित्तीय संकट दूर करने के लिए विश्वविद्यालय को सरकार की ओर से मिलने वाले बजट में बढ़ोतरी होना बेहद जरूरी है। अगर बजट में बढ़ोतरी प्रदेश सरकार नहीं करती है तो विश्वविद्यालय की वित्तीय परेशानियां बढ़ना तय है। अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार करने के लिए हालांकि विश्वविद्यालय पहले ही सरकार के समक्ष 110 करोड़ के बजट की मांग कर चुका है। एचपीयू को गत वर्ष 2016-17 में सरकार की ओर से 90 करोड़ रुपए का बजट 11 करोड़ की बढ़ोतरी के साथ सरकार ने दिया था। इस बार विवि की ओर से वर्तमान बजट में 20 करोड़ की वृद्धि का बजट प्रस्ताव सरकार के समक्ष रखा है। इस बार भी वृद्धि नहीं होती है तो विवि में बजट सत्र 2017-18 का बजट अधिक घाटे का होगा। विश्वविद्यालय ने बजट की बढ़ोतरी की मांग विवि कर्मचारियों की लंबित देनदारियां पूरी करने के साथ ही आगामी नियुक्तियों को देखते हुए की है। विवि में अभी सेवानिवृत्त हुए शिक्षकों और कर्मचारियों की लंबित देनदारियां हैं। वहीं नई नियुक्तियों में विवि प्रशासन 96 शिक्षकों और 54 गैर शिक्षकों के साथ ही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पदों को विज्ञापित कर चुका है। वहीं घणाहट्टी में बनने वाले कैंपस के लिए अगर सरकार से अलग बजट विवि को नहीं मिलता तो विवि इस वर्ष भी कैंपस विस्तार नहीं कर पाएगा। उधर, एचपीयू का वर्ष 2014-15 का बजट 69 करोड़ था। इस बजट में 10 करोड़ की बढ़ोतरी वित्त वर्ष 2015-16 में सरकार की ओर से की गई। विवि का बजट 90 करोड़ हुआ। इस बजट में 11 करोड़ की वृद्धि वित्त वर्ष 2016-17 में की गई, जिसके बाद जिला का बजट 90 करोड़ हुआ है।