रोहतांग की कैरिंग कैपेसिटी पर बनेगी रिपोर्ट

वशिष्ठ से कोकसर तक के इलाके का होगा अध्ययन, तैनात होंगे कंसल्टेंट

शिमला — पर्यटन के लिहाज से अहम माने जाने वाले रोहतांग व इसके आसपास के इलाके की कैरिंग कैपेसिटी को जांचा जाएगा। सरकार इसके लिए कंसल्टेंट नियुक्त करने जा रही है। वशिष्ठ से लेकर रोहतांग तक और रोहतांग से लेकर कोकसर तक की कैरिंग कैपेसिटी पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसके लिए सरकार  कंसल्टेंट नियुक्त करने जा रही है। इसके लिए  15 अप्रैल तक आवेदन मांगे गए हैं, जो कि कि यहां कैरिंग कैपेसिटी रिपोर्ट तैयार करने के इच्छुक हैं। माना जा रहा है कि काम अवार्ड होने के छह माह के भीतर यह रिपोर्ट तैयार हो जाएगी। दरअसल रोहतांग इलाका पर्यावरण के नजरिए से बेहद संवेदनशील है, वहीं इस इलाके में गतिविधियां लगातार बढ़ गई हैं और टनल बनने के बाद यहां के इलाकों में गतिविधियां और भी बढ़ेंगी। यही वजह है कि सरकार ने इस पूरे इलाके की कैरिंग कैपेसिटी पर रिपोर्ट तैयार करने का फैसला लिया है। इसके तहत मनाली के वशिष्ठ से लेकर लाहुल-स्पीति के कोकसर तक के करीब 67 किलोमीटर एरिया का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इस पूरे क्षेत्र में इकोलॉजिकल कैपेसिटी, कामर्शियल कैपेसिटी के अलावा यहां की आर्थिक व सामाजिक कैपेसिटी पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार होगी। इसमें यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि यहां निर्माण गतिविधियां सीमित हों और खासकर  सड़कों पर और इनके साथ कोई निर्माण न हो। इस इलाके में आने वाले वाहनों की संख्या और भविष्य में इनमें इजाफा होने के साथ-साथ इस इलाके की ट्रांसपोर्ट कैरिंग कैपेसिटी को भी जांचा जाएगा। रिपोर्ट में यहां सभी गतिविधियों को रेगुलेट करने के लिए प्लान भी बनेगा। इसमें इस तरह का तंत्र तैयार करने पर बल दिया जाएगा कि इस पूरे इलाके की परिस्थितिकी (इकोलॉजी) को कोई नुकसान न पहुंचे। यह इलाका जल स्रोतों के लिए भी जाना जाता है और इससे यहां के नदी-नालों में सालभर पानी रहता है। ऐसे में इलाके के जलाशयों को कोई नुकसान न हो, इसका भी ध्यान रखा जाएगा। उल्लेखनीय है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जुलाई 2015 में रोहतांग व आसपास के इलाके पर  विभिन्न गतिविधियों पर रोक लगा दी थी।

इसलिए है जरूरत

क्षेत्र का तेजी से विकास हो रहा है और यहां भारी संख्या में लोग बस रहे हैं। सैलानी भी भारी तादाद में यहां पहुंचते हैं। इससे यहां के पर्यावरण को खतरा पैदा हो रहा है। यही वजह है कि इसके लिए अब कैरिंग कैपेसिटी रिपोर्ट तैयार कर यहां के पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए एक तरह का रोडमैप तैयार किया जाएगा।