एबीवीपी की आक्रोश रैली
* राष्ट्रीय महामंत्री विनय बिंद्रे-राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुनील अंबेडकर ने छात्रों की मांग सरकार से रखी
* छात्र संगठन की लड़ाई सत्ता से नहीं, बल्कि प्रदेश भर में छात्र हित को व्यवस्था परिवर्तन के लिए
* 114 कालेजों में शिक्षकों के 1500 पद खाली, रूसा शुरू करने से पहले व्यवस्थाएं देखती सरकार
हर जिला में हो गर्ल्ज कालेज
राष्ट्रीय महामंत्री विनय बिंदे्र ने कहा कि प्रदेश के हर जिला में कन्या महाविद्यालय खोले जाने चाहिएं। छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा मिलनी चाहिए। वहीं प्रदेश में एससी/एसटी और ओबीसी के लिए भी छात्रावासों का निर्माण किया जाना चाहिए।
नियामक आयोग में बिठाए चहेते
देश के निजी शिक्षण संस्थानों में जो लूट और नियमों का उल्लंघन सरेआम हो रहा है, उसके लिए देश में सतत नियामक आयोग होना चाहिए। हिमाचल में जो नियामक आयोग हैं, वे सेवानिवृत्त अधिकारियों का अड्डा बन चुके हैं। सरकार ने इसमें अपने चहेतों को नियुक्तियां दी हैं। नियामक आयोग में केवल शिक्षाविदों की ही नियुक्यिं होनी चाहिएं। एबीवीपी का कहना है कि अगर मांगें पूरी नहीं होती हैं तो यह आंदोलन ऐसे ही जारी रहेगा।
भत्ता नहीं, रोजगार चाहते हैं युवा
प्रदेश सरकार बेरोजगारी भत्ते का लालच चार सालों से देती आ रही है, लेकिन युवा भत्ता नहीं रोजगार चाहती है। सरकार को रोजगार की तरफ ध्यान देना चाहिए।
बैकडोर भर्तियां शिक्षा मंत्री नहीं
प्रदेश में शिक्षा को लेकर सरकार कितनी चिंतित है, इसका पता इस बात से चलता है कि सरकार में अलग से शिक्षा मंत्री ही नहीं हैं। कांग्रेस सरकार बैकडोर तरीके से भर्तियां कर चहेतों को लाभ पहुंचा रही है। प्रदेश में अब तक शिक्षा मंत्री ही नहीं मिल पाया है।
देश को तोड़ रहीं कुछ ताकतें
एबीवीपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुनील अंबेडकर ने कहा कि पहले देश में चर्चा होती थी कि भारत आगे नहीं बढ़ रहा, लेकिन अब पूरी दुनिया मानती है कि देश आगे बढ़ रहा है। यह इसलिए संभव हो पाया है, क्योंकि देश के हर नागरिक ने राष्ट्रहित में सोचना आरंभ किया है, लेकिन कुछ ताकतें देश को तोड़ने के काम में लगी हुई हैं, जिनका हर जगह भंडाफोड़ हो रहा है। यह छात्र आंदोलन देशभर के युवाओं के लिए प्ररेणा स्रोत है कि कैसे छोटे से प्रदेश में हजारों युवा सरकार के विरोध में सड़कों पर उतरने का दम रखते हैं। यही हालत रही तो प्रदेश की सरकार को कुर्सी छोड़नी पड़ जाएगी। हिमाचल के लोग बच्चों को बेहतर शिक्षा देने में पूरी तरह सक्षम हैं, लेकिन प्रदेश सरकार की फीस वृद्धि, रूसा, शिक्षा का निजीकरण, आधारभूत ढांचे का अभाव आदि ऐसी कई परिस्थितियां हैं, जो छात्रों को सड़कों पर उतरने को मजबूर कर रही हैं।