शिमला में इलेक्ट्रिक बस की टेस्टिंग

परवाणू-शिमला के लिए टाटा ने लिया परमिट, एक महीना चलेगा ट्रायल

शिमला— टाटा शिमला में इलेक्ट्रिक बस की टेस्टिंग कर रहा है। परवाणू से शिमला के लिए टाटा ग्रुप ने एक माह का परमिट परिवहन विभाग से लिया है। इस दौरान इलेक्ट्रिक बस की क्षमता को आंका जा रहा है। मसलन, पहाड़ी क्षेत्र में इस तरह की पर्यावरण मित्र बसें देशी तकनीक से कितनी सफल होंगी। इसके बाद इसमें कुछ बदलाव भी हो सकते हैं। एनजीटी के आदेशों पर एचआरटीसी ने ऐसी 25 बसों का आर्डर गोल्ड स्टोन कंपनी को दिया है। सूत्रों के मुताबिक देशी कंपनियों टाटा व अशोक लेलैंड को भी इसके लिए संपर्क किया गया था। टाटा तो प्रतिस्पर्धा में नहीं उतरा था, मगर अशोक लेलैंड ने निविदाएं भरी थीं, मगर यह कंपनी विदेशी कंपनी से रेट मैच करने के लिए तैयार नहीं हुई। नतीजतन गोल्ड स्टोन कंपनी को सप्लाई आर्डर दे दिए गए। जानकारों के मुताबिक टाटा देश के करीब सभी राज्यों में जो अपनी बसें चला रहा है, वह तकनीक में कहीं बेहतर है। यही वजह है कि ज्यादातर राज्यों की परिवहन निगमों ने टाटा की ही बसें खरीद कर रखी हैं। अब यदि परवाणू से शिमला का यह ट्रायल सफल रहता है तो पहाड़ी क्षेत्रों में यह एक मील पत्थर साबित हो सकता है। एक तो देशी तकनीक से तैयार इलेक्ट्रिक बसें विदेशी बसों की तुलना में सस्ती होंगी, दूसरे सरल-सुलभ भी। गोल्ड स्टोन कंपनी चीनी सहयोग से देश की ही एक कंपनी तैयार कर रही है, जिसकी कीमत काफी ज्यादा है। सूत्रों का कहना है कि इसका इंजन व बैटरी दोनों ही आयात किए जा रहे हैं। मात्र बॉडी फेब्रीकेशन देश में होता है। बहरहाल, गुपचुप हो रहा यह ट्रायल यदि सफल रहता है तो हिमाचल ही नहीं, देश के हिमालयी राज्यों के लिए यह एक वरदान साबित हो सकता है। क्योंकि हिमाचल को तो एनजीटी के आदेशों पर केंद्र ने 90ः10 अनुपात में ऐसी 25 बसें खरीद करने की अनुमति दे दी, मगर अन्य राज्यों के लिए ऐसे आदेश नहीं थे।