शूर्पणखा का रावण को परामर्श

शूर्पणखा के बारे में हमारा ज्ञान अत्यंत सीमित है। हमें सिर्फ यही मालूम है कि शूर्पणखा पहले श्रीराम पर और फिर लक्ष्मण पर आसक्त हो गई और जब सीता को परेशान करने से नहीं हटी, तो श्रीराम ने क्रोधित हो कर लक्ष्मण को कहा कि उसे सबक सिखाया जाए। जब लक्ष्मण ने शूर्पणखा के नाक व कान काट दिए, तो वह रोती हुई रावण के पास गई और नमक-मिर्च लगा कर तो बताया ही, साथ ही सीता के सौंदर्य का भी इस तरह से बखान किया कि रावण सीता को अपनी पत्नी  बनाने हेतु लालायित हो गया। आगे की कथा हमें मालूम है, लेकिन राज्य-शासन और कूटनीति के बारे में उसके ज्ञान के बारे हमें कुछ भी मालूम नहीं है। प्रशासन व जासूस तंत्र के बारे उसका ज्ञान असीमित था। जब उसे लगा कि श्रीराम व लक्ष्मण के हाथों उसका अत्यंत अपमान हो गया है, तो क्रोधित हो कर और अपने अपमान का बदला लेने के लिए उसने रावण के सम्मुख दुहाई दी। इसके साथ ही उसने रावण से राज्य, प्रशासन के बारे में कुछ कठोर प्रश्न भी किए, जिसके वर्णन को वाल्मीकि रामायण में इस प्रकार से दर्शाया गया है।

शूर्पणखा  की रावन को राजा के कर्त्तव्य संबंधी परामर्श ः

अरण्य कांड सर्ग 33, श्लोक 2,3,4,6,8,15,16,17,18,19

लालसाओं से बंधे हुए,अनैतिक संबंधों में लिप्त हुए और अपनी इच्छाओं को बेकाबू  करते हुए तुम आनंद में तो हो, लेकिन एक इतना भयंकर खतरा तुम्हारे सिर के ऊपर मंडरा रहा है, उसे तुम नहीं देख पा रहे हो। लोग बाहर ऐसे लालची शासक को आदर व सम्मान के साथ नहीं देखते, जो कि अपनी लालसा पूर्ति में, अपने ही आनंद में लगा हुआ हो, जैसे कि श्मशान में जल रही आग। ऐसा  शासक जो कि अपने शासन के बारे में स्वयं रुचि नहीं लेता, उसका शासन व उसका राज्य बिना किसी देर के जल्द ही समाप्त हो जाता है, ऐसा याद रखना। ऐसे शासक, जो अपनी जीती हुई भूमि को अपने कब्जे में नहीं रख पाते, वे शानदार तरीके से नहीं चमकते और उनका हाल ऐसा हो जाता है जैसे कि समुद्र में डूब रहे पर्वत। हे राजन, आप निस्संदेह बचकाने तो हो ही, आप में बुद्धिमता की भी अत्यंत कमी है और आप को नहीं मालूम कि आप को क्या- क्या मालूम होना चाहिए। इसलिए ऐसे में,  हे दानव राज आप राजा कब तक बने रहोगे? ऐसा शासक जो कि क्रूर, निर्दयी,  लापरवाह, घमंडी व धोखेबाज हो, जब मुसीबत में फंस जाता है तब कोई भी उसकी सहायता हेतु सामने नहीं आता है।