सत्र न्यायाधीश के फैसले पर हाई कोर्ट की मुहर

शिमला – सत्र न्यायाधीश शिमला द्वारा चरस रखने के आरोप में प्रदीप कुमार और संदीप कुमार को बरी किए जाने के निर्णय को प्रदेश हाई कोर्ट ने मुहर लगा दी है। न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी और न्यायाधीश चंद्र भूषण बरोवालिया कि खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने उक्त निर्णय सुनाया। मामले के अनुसार 24 जून 2011 को पुलिस ने ठियोग समीप नंगल देवी से टैक्सी से एक किलो दो सौ ग्राम चरस बरामद की थी। उस समय प्रदीप कुमार गाड़ी चला रहा था और संदीप कुमार साथ बैठा था। पुलिस ने दोनों के खिलाफ सत्र न्यायाधीश शिमला की अदालत में अभियोग चलाया। अभियोजन पक्ष ने अभियोग साबित करने के लिए सात गवाहों के बयान दर्ज करवाए। निचली अदालत ने दोनों को चरस रखने के जुर्म से दोष मुक्त करते हुए कहा कि पुलिस की कहानी मनघंड़त लगती है, क्योंकि स्वतंत्र गवाह ने पुलिस के पक्ष में गवाही नहीं दी है। हाई कोर्ट ने मामले से जुड़े तमाम रिकार्ड का अवलोकन करने के बाद पाया कि स्वतंत्र गवाह जिसने पुलिस के पक्ष में गवाही नहीं दी है, एक पढ़ा लिखा व्यक्ति है। हाई कोर्ट ने पाया कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ अभियोग साबित करने में असफल रहा है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए निर्णय सुनाया।