सरकार ने कोर्ट में पेश की पालिसी

वन भूमि पर छोटे अवैध कब्जाधारियों को राहत की पैरवी

शिमला— हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा वन भूमि पर अवैध कब्जों को लेकर चल रहे मामलों पर छोटे किसानों को राहत देने के मकसद से तैयार की गई पालिसी को हाई कोर्ट के समक्ष पेश किया है।  यह जानकारी  सरकार की ओर से कोर्ट में पेश हुए महाधिवक्ता श्रवण डोगरा ने बताया कि  सरकार की कोशिश है कि छोटे किसानों को यह राहत दी जाए। हाई कोर्ट द्वारा वर्तमान याचिका और एक क्रिमिनल अपील में दो अलग-अलग खंडपीठों द्वारा पारित किए  निर्देशों के अमल में पेश आ रही दिक्कत को सरकार की ओर से मुद्दा उठाया गया, जिस पर अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट द्वारा इस याचिका में समय-समय पर पारित किए गए आदेश लागू रहेंगे। इस मामले पर सुनवाई आगामी 21 मार्च को निर्धारित की है।  इससे पूर्व अदालत ने वन भूमि से अवैध कब्जे हटाने में बरती जा रही कोताही पर कड़ा रुख अपनाया था। अदालत ने आदेश दिए थे वन भूमि कब्जाधारियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाए। मुख्य न्यायाधीश मंसूर अहमद मीर और न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की खंडपीठ ने अवैध कब्जों से जुड़े मामले की सुनवाई के बाद उक्त आदेश पारित किए। अदालत ने आदेश दिए थे वन भूमि कब्जाधारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए। वन भूमि पर अवैध कब्जे के मामले में मुख्य अरण्यपाल ने शपथ पत्र के माध्यम से अदालत को बताया गया था कि प्रदेश भर में 10307 अवैध कब्जों के मामलों में से 8912 मामलों का निपटारा कर दिया गया है और निपटाए गए मामलों में से  5143 अवैध कब्जे हटा दिए गए है। सबसे ज्यादा अवैध कब्जों के मामले शिमला (3057) और कुल्लू (2388) में पाए गए है। अदालत को बताया गया कि कुल्लू के 130 और शिमला के 1929 अवैध कब्जों के मामलों को जल्दी ही निपटाया जाएगा।  अदालत को यह भी बताया गया था कि रोहडू क्षेत्र में 1481 मामले में दस बीघा से कम पर अवैध कब्जा किया गया है और 418 मामलों में दस बीघा से अधिक भूमि पर अवैध कब्जा किया गया है। अदालत ने एसडीएम रोहडू को आदेश दिए थे कि वह इन सभी मामलों का निपटारा चार सप्ताह के भीतर करें। अदालत ने अपने आदेशों की अक्षरश अनुपालना के लिए मुख्य अरण्यपाल को जिम्मेदार ठहराया है।