हल हो अयोध्या मामला

( मनीषा चंदराणा (ई-मेल के मार्फत) )

राम जन्मभूमि मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों से बातचीत से हल निकालने के लिए कहा है। स्पष्ट रूप से कहा जाए, तो यह बिलकुल ही संभव नहीं है। इस विवाद में न्यायालय को ध्यान देना जरूरी है। न्यायालय का जो भी निर्णय होगा, उसे पक्षकारों को मानना होगा। पक्षकार यह बात अपने कार्यकर्ताओं को ठीक तरह समझाएं। इस विवाद को चलते काफी समय बीत गया है। अब तो तुरंत इस का अंतिम हल निकले, यही देशवासियों की अपेक्षा है। यह विवाद आपसी बातचीत से सुलझ जाता, तो अभी तक राम जन्मभूमि का सवाल उत्तर के प्रतीक्षा में नहीं रहता। धार्मिक आस्था से जुड़े इस प्रश्न को लेकर देश में अब किसी विवादास्पद स्थिति का निर्माण न हो। ऐसी स्थिति देश की शांति एवं व्यवस्था के लिए चिंताजनक हो सकती है। कहना न होगा कि उस विवाद में कुछ लोग अस्थिरता भरी स्थिति का फायदा उठाकर उसे और बिगाड़ने में जुट सकते हैं। उन्हें तो सिर्फ बहाने कि जरूरत होती है। असल में न्यायालय ने बताया मार्ग उचित है, लेकिन उसमें कौन पीछे कदम लेगा? यह एक संवेदनशील मामला है और बातचीत में क्या इसका कोई अंतिम हल निकल सकेगा, यह एक यक्ष प्रश्न है।