शौक को अपने चित्रों से जिंदा करते जितेंद्र
उन्होंने जितना मान अपनी कला को दिया है, उतनी ही ख़ूबसूरती से अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी निभाया है। एकल परिवार के दौर में भी उनके संयुक्त परिवार में तीन पीढि़यां साथ रहती हैं। वर्तमान में पांवटा विकास खंड में बतौर पंचायत सचिव कार्यरत जितेंद्र कुमार के चित्रों में उनकी कलम की पकड़ स्पष्ट देखी जा सकती है…
-अजय पराशर, उप निदशक
क्षेत्रीय कार्यालय, सूचना एवं जन संपर्क विभाग,धर्मशाला
जब रू-ब-रू हुए…
चित्रकला में सरदार सोभा सिंह को मानता हूं आदर्श…
कला से आपकी मुलाकात कब हुई और हाथ में तूलिका कैसे आई?
विद्यार्थी जीवन से ही चित्रकला में रुचि थी। स्कूल शिक्षा दौरान पेंसिल स्केच एवं वाटर कलर में काम किया। स्कूल के बाद 1986 में कालेज पहुंचते ही वाटर कलर के साथ-साथ ऑयल पेंटिंग भी शुरू कर दी।
हिमाचली परिवेश में आपके लिए कलात्मक पक्ष क्या है और कब-कब रू-ब-रू हुए या होते हैं?
हिमाचल परिवेश में कला के साक्षात दर्शन होते हैं। यहां का जनजीवन, लोक संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य, जिनसे मुझे हमेशा रू-ब-रू होने का सौभाग्य प्राप्त होता है।
आपके लिए चित्रकला मात्र अभिव्यक्ति है या कुछ और?
चित्रकला मेरे लिए परमात्मा की इबादत है।
कला को जीने से जीवन के चिंतन पर कितना असर रखता है?
कला को जीने से जीवन सरल हो जाता है।
सरकारी नौकरी के दबाव और ठहराव के बीच कलात्मक रेखाओं को गीत देने के लिए कहां से प्रेरित होते हैं?
ग्रामीण विकास विभाग में सेवारत होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में ही सेवाएं देनी होती हैं, जहां का शांत वातावरण कला के प्रति मुझे प्रेरित करता रहता है।
कोई आदर्श या जिनके जैसा होने की इच्छा है?
प्रसिद्ध तूलिकाविद स्व. सरदार सोभा सिंह जी को अपना आदर्श मानते हुए कला जगत में अपना योगदान देना चाहता हूं।
हिमाचल में कलाकार को कम पहचान मिलने की क्या वजह देखते हैं?
हिमाचल में चित्रकला प्रशिक्षण का अभाव है। जिन विद्यार्थियों को चित्रकला के प्रति बचपन से ही रुचि होती है, उनकी कला स्कूल जीवन तक ही सीमित रह जाती है।
पहली बार प्रशंसा का अवसर कैसे मिला और उसके बाद क्या परिवर्तन आया?
प्रशंसा मिलती रहती है किंतु मैं काम में ध्यान देना ज्यादा आवश्यक समझता हूं।
आपको विचार आगे ले जाते हैं या सपने।
मैं विचारों के माध्यम से सपनों को आगे ले जाना चाहता हूं।
कोई मधुर या कड़वी याद , जिसके अक्स में कलाकार मन अपने भीतर सुराख करके झांकना चाहता है?
मैंने चित्रकला का प्रशिक्षण नहीं लिया। इसलिए मुझे हमेशा अपने कार्य में कमियां महसूस होती हैं। कई बार काम करते-करते हाथ थम जाते हैं। तो सोचता हूं कि काश कोई गुरु होता?
कोई एक चित्र, जो आपकी मौलिकता का पर्याय बन गया हो?
अन्य कलाकारों के बीच खुद को बहुत छोटा कलाकार समझता हूं। अभी बहुत कुछ करना बाकी है।
हिमाचली कलाओं में से आपके लिए सर्वश्रेष्ठ क्या है और किस कलाकार पर फिदा हैं?
हिमाचल कला (मिनिएचर) के महान कलाकार स्व. श्री ओम प्रकाश टॉक, श्री अनिल रैना एवं विजय शर्मा जी की कलाओं ने काफी प्रभावित किया है। जिन्होंने हिमाचल कला (मिनिएचर) को राज्य से देश व देश से विदेश तक पहुंचाया। लेकिन मेरी रूचि रियलस्टिक चित्रकला में है। इसलिए कह सकता हूं कि स्व. सरदार सोेभा सिंह जी की कला पर फिदा हूं।