कालाराम मंदिर

दक्षिण काशी के नासिक में किसी समय प्रभु रामचंद्र का प्रवास रहा था। प्रभु श्रीराम ने जहां-जहां पग धरे वह भूमि पवित्र हो गई। उनके पदचिह्नों के रूप में अनेक मंदिर आज भी नासिक में नजर आते हैं।  सनातन धर्मियों की आस्था स्थली है नासिक का कालाराम मंदिर व गोराराम मंदिर। कालाराम श्रद्धा, भक्ति का केंद्र है, जो दुखहर्ता है। भारत के चार कुंभ स्थानों में से एक है नासिक, जो गोदावरी नदी तट पर स्थित है। गोदावरी पुण्य सलिला है। नासिक में ही गोदावरी के तट पर पंचवटी अवस्थित सीता गुफा के निकट है सुप्रसिद्ध कालाराम का मंदिर, जो संपूर्ण रूप से काले रंग के पत्थरों से निर्मित है। इसमें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीरामचंद्र विराजमान हैं। इसी मंदिर के बगल में है गोराराम मंदिर। कालाराम मंदिर का निर्माण सरदार ओढेकर पेशवा ने सन् 1790 ई. में करवाया था। इस मंदिर की वास्तुकला अद्भुत है। इसका शिल्प बहुत सीमा तक त्र्यंबकेश्वर मंदिर के समान है। मुख्य गुंबद की ऊंचाई 70 फुट है। मंदिर में कुल 96 स्तंभ हैं, कलश में सोने का प्रयोग हुआ है। परिसर 285 फुट लंबा और 105 फुट चौड़ा है। लगभग 12 वर्षों में यह विशाल मंदिर बनकर तैयार हुआ था, जिसमें 2,000 शिल्पी लगे थे। मंदिर निर्माण के लिए काला पत्थर रामसेज की पहाड़ी से लाया गया था। जिस स्थान पर कालाराम मंदिर का निर्माण किया गया है, उसी स्थान पर रामायणकाल में प्रभु श्रीराम ने वनवास काल में पर्णकुटी का निर्माण किया था, ऐसी मान्यता सहस्रों वर्षों से चली आ रही है। सामान्यतः श्रीराम के मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा धनुष-बाण धारी होती है, परंतु यहां उनका एक हाथ छाती पर धरा है। माना जाता है कि वह अपने शरणागत का दुख हरते हैं। गोदावरी तट पर यहां कपालेश्वर शिव मंदिर व भगवान विष्णु अवतार भगवान राम का मंदिर होने से इस स्थान को लोग हरिहर क्षेत्र धाम मानते हैं। कालाराम मंदिर में श्रद्धालु भक्त जन कालसर्प दोष निवारण के लिए आते हैं। मंदिर की मूर्ति काले पत्थरों से ही निर्मित है। यहां पर श्रीराम नवमी व दशहरा तथा गुड़ी पड़वा के पर्व प्रमुख रूप से मनाए जाते हैं। मंदिर प्रबंधन कालाराम संस्थान के हाथों में है।