कूड़ा उठाने वाली वह लड़की

कूड़ा उठाने वाली

वह नटखट सी लड़की,

मुंह अंधेरे ही निकल

पड़ती है काम पर…।

वह बजाती है सीटी

घर-घर से उठाती है कूड़ा

और घसीट कर ले जाती है

कूड़े से भरा बोरा…।

पीछे से उसे पुकारती है

उनींदी आंखें लिए

बड़े घरों की औरतें

अरी ओ रुक जा

अभी आ रहे हैं डस्टबिन लिए…।

कूड़ा उठाने वाली

वह नटखट सी लड़की,

स्कूल जाती शहर की लड़कियों को

देखती है हंसते खिलखिलाते हुए

और हो जाती है उदास…।

कूड़ा उठाने वाली

वह नटखट सी लड़की

जाने-अनजाने ही सही

घर-घर जगा रही है

स्वच्छता की अलख…।

उसके हाथों में नहीं हैं

ग्लब्ज, नहीं है मुंह पर मास्क

फिर भी नंगे हाथों से

उठा रही है कूड़ा

और झेल रही है बदबू…।

मजदूरी है कम

और काम पहाड़ सा

नहीं है फुर्सत उसे

पल भर भी सुस्ताने की

हर-पल मिलती है ठेकेदार की झिड़की।

वह गाड़ी में लाद रही है कूड़ा

उसके कानों में गूंज रहा

स्वच्छता का नारा

उसे नहीं है मालू

अब यह जिला संपूर्ण स्वच्छ हो गया है…।

-चूड़ामणि बड़पग्गा, मकान नंबर 83/4, रविनगर,मंडी हिमाचल प्रदेश