कोर्ट ने वीसी से तीन हफ्ते में मांगा जवाब

एचपीयू में कुलपति की नियुक्ति

 शिमला —  हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति को पदच्युत करने की मांग को लेकर दायर याचिका की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कुलपति से तीन सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है। न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी और न्यायाधीश चंद्र भूषण बरोवालिया की खंडपीठ ने प्रार्थी अधिवक्ता वीरेंद्र ठाकुर और अधिवक्ता सुरेंद्र वर्मा द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के बाद ये आदेश पारित किए। याचिका में आरोप लगाया गया है कि एडीएन बाजपेयी इस पद पर रहने की योग्यता नहीं रखते हैं। याचिका में दिए तथ्यों क अनुसार एडीएन बाजपेयी ने तीन फरवरी, 2011 को कुलपति पद के लिए आवेदन दिया था, जिसमें कही भी जिक्र नहीं किया गया कि उनके खिलाफ वित्तीय अनियमितताएं बरतने बारे जांच लंबित है और न ही इस बात का जिक्र किया कि उन्हें अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय से उपकुलपति के पद से बर्खास्त किया गया था। एडीएन बाजपेयी अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में चार साल तक कुलपति पद पर रहे और वित्तीय अनियमितताओं के चलते उसे लोकयुक्ता ने कुलपति के पद से बर्खास्त किया गया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि कुलपति एडीएन बाजपेयी द्वारा एचपीयू में भी वित्तीय अनियमितताएं बरती जा रही हैं। एडीएन बाजपेयी ने अमीषा शर्मा मेडिकल आफिसर को एमडी/एमएस कोर्स करने के लिए नियमों के विरुद्ध तीन साल की स्टडी लीव स्वीकृत कर दी और नियमों के विरुद्ध सरकारी आवास रखने पर 13974 रुपए का पीनल रेंट माफ कर दिया। उसके बाद एडीएन बाजपेयी ने अमीषा शर्मा को आईजीएमसी में स्थायी रूप से नौकरी करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया।

अब अगली सुनवाई 18 मई को

आरोप लगाया गया है कि इस एक ही मामले में एचपीयू को लगभग 40 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। प्रार्थी ने अदालत से गुहार लगाई है कि इस नुकसान को एडीएन बाजपेयी से वसूले जाने के आदेश पारित किए जाएं। आरोप लगाया गया है कि एडीएन बाजपेयी अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं, इसलिए उन्हें इस पद से हटाए जाने के आदेश पारित किए जाएं। मामले की आगामी सुनवाई 18 मई केलिए निर्धारित की गई है।