गर्म पानी के चश्मों के लिए प्रसिद्ध है मणिकर्ण

मणिकर्ण कुल्लू से 45 किलोमीटर और कसोल से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर अपने  गर्म पानी के चश्मों के लिए प्रसिद्ध है। इसके गर्म जल में हजारों लोग अपना पवित्र स्नान करते हैं। पानी इतना गर्म है कि इसमें दाल, चावल और सब्जियों को भी उबाला जा सकता है…

नाहन

यह सिरमौर जिला का मुख्यालय है, कंदराओं और हरे खेतों को निहारते हुए यह एक पृथक पर्वतपृष्ठ पर स्थित है। यह नगर राजधानी के रूप में राजा करण प्रकाश द्वारा 1621 ई.में  स्थापित किया गया था। इसकी एक और रचना की कहानी यह है कि एक संत एक नाहर के साथ इस स्थान पर रहता था, जहां नाहन का महल खड़ा है। नाहर का अर्थ शेर होता है और शायद इसने अपना नाम इस संत से लिया है। नाहन की संक्रियाओं का केंद्र चौगान, बिक्रम का बाग और खादा का बाग है। नाहन मानसून के अंत में  सावन द्वादशी मनाता है जब स्थालीय लोग देवताओं के 52 पालकियां एक जलूस में जगन्नाथ मंदिर को ले जाए जाते हैं। जहां पारंपरिक तौर पर उन को एक तालाब में तैराया जाता है तथा आधी रात को उन्हें अपनी पूर्ववस्था में लाया जाता है। राजाओं के शासनकाल के दिनों से ही नाहन के मध्य में रानीताल नाम का तालाब तथा एक मंदिर है। भारत के सबसे प्राचीन ढलाई करने के कारखानों में एक यहां नाहन में है। हिमाचल की बिरोजा व तारपीन की फैक्टरी भी यहां स्थित है।

मणिकर्ण

मणिकर्ण कुल्लू से 45 किलोमीटर और कसोल से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर अपने  गर्म पानी के चश्मों के लिए प्रसिद्ध है। इसके गर्म जल में हजारों लोग अपना पवित्र स्नान करते हैं। पानी इतना गर्म है कि इसमें दाल, चावल और सब्जियों को भी उबाला जा सकता है। एक पुरानी पौराणिक कथा के अनुसार मणिकर्ण का संबंध भगवान शिव और उनकी अर्द्धांगिनी पार्वती से है, जिसने स्नान करते हुए कान की बाली खो दी। जब उसने शिव को बताया तो भगवान ने कुंड के जल की ओर गुस्से से देखा, जिसने पार्वती नदी के किनारे पर गर्म जल को जन्म दिया। यहां शिव मंदिर भी है।

मार्कंडा

यह बिलासपुर से लगभग 20 किलोमीटर दूर एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। एक विश्वास के अनुसार एक सुरंग मार्कंडा और व्यास गुफाओं को जोड़ती है। व्यास और मार्कंडा ऋषि इसी रास्ते से एक-दूसरे के पास आते-जाते थे। यहां एक प्राकृतिक पानी का चश्मा है, जहां विवाहित दंपत्ति इसके पवित्र जल में स्नान करने आते हैं। ऐसा विश्वास है कि इससे बांझपन और बच्चों के रोगों का इलाज होता है।

लियो

किन्नौर से स्पीति नदी के दाहिने किनारे पर स्थित, पूह उपमंडल में हैंग रैंग उपतहसील का मुख्यालय है।