जवानों से दुर्व्यवहार

( डा. शिल्पा जैन सुराणा, तेलंगाना )

हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें कश्मीरी पत्थरबाज हमारे जांबाज जवानों के साथ अभद्र व्यवहार कर रहे हैं, उनको गालियां दे रहे हैं। यह शर्म की बात है कि हमारे देश में हमारे जवानों का यह हाल है। ये वही जवान हैं, जो इन्हीं लोगों से पत्थर खाते हैं, फिर संकट के समय अपनी जान हथेली पर रख कर इन्हीं लोगों की जान बचाते हैं। हमारे देश में असहनशीलता का मुद्दा बहुत छाया हुआ रहा, इसी देश के लोग अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर पाकिस्तान जिंदाबाद के नाम के नारे लगाते हैं, आतंकवादी उन्हें देशभक्त नजर आते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि ऐसी बातों का समर्थन वे लोग करते हैं, जो खुद को बुद्धिजीवी कहते हैं। उस पर हमारे राजनेता ऐसे लोगों का समर्थन करते हैं। अच्छा होगा कि ये लोग, जो दूर से इतना नाटक कर रहे हैं, कश्मीर जाकर अपनी बहादुरी दिखाएं। कथनी और करनी का अंतर साफ समझ आ जाएगा। वैसे भी घाटी में हालात दिन-प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं, युवा गुमराह हैं, शांति की उम्मीद करना बेमानी सा हो गया है। हमारे देश के बहादुर जवानों की जान बहुत कीमती है, वे भी इसी मिट्टी के लाल हैं। अमरीका में एक भारतीय मरता है, तो इतना हो हल्ला होता है, सारे मंत्रालय जाग जाते हैं, पर सैनिकों के साथ दुर्व्यवहार पर इनके खून का उबाल ठंडा क्यों पड़ जाता है? समय आ गया है कि हम अपने देश के जवान, जो हमारी रक्षा कर रहे हैं, की सुरक्षा के लिए सरकार को सचेत करें। गैर जरूरी मुद्दों को एक तरफ रखकर इस महत्त्वपूर्ण विषय पर चर्चा हो। इस देश में ऐसे लोगों की कोई जरूरत नहीं, जो देश में ही रहकर देश की अखंडता और संप्रभुता को तोड़ना चाहते हैं। एक सख्त कदम की दरकार है।