तटीकरण योजनाओं पर संकट

केंद्र से नहीं मिला कोई जवाब, स्वां समेत कई प्रोजेक्ट अधर में

शिमला – तटीकरण योजनाओं को पूरा करने के लिए हिमाचल द्वारा केंद्र सरकार को लिखे गए पत्र पर कोई जवाब नहीं मिला है। स्थिति यह बन गई है कि अब राज्य सरकार को ही अपने बजट से तटीकरण योजनाओं को पूरा करना पड़ेगा, परंतु राज्य सरकार के पास पैसा नहीं है। स्वां चैनेलाइजेशन के लिए केंद्र सरकार ने पैसा देने से लगभग इनकार कर दिया है, वहीं कुछ अन्य तटीकरण योजनाएं जिनमें पब्बर भी शामिल है, अधर में लटक गई है। शिमला जिला में पब्बर तटीकरण की योजना पूरी तरह से तैयार है, जिसे मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रालय को भेजा था। इसमें शुरुआत में कुछ जानकारियां भी मांगी गई थीं, परंतु आगे बात नहीं बढ़ सकी। हर साल बरसात के दिनों में पब्बर नदी उफान पर रहती है और इसके साथ लगते ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। इसी तरह के कुछ प्रोजेक्ट सिद्धाथा और चंगर के भी हैं जहां के लिए पर्याप्त पैसा नहीं मिल पाया है। यहां पर भी कई काम यूं ही लटके हुए हैं, जिससे लोगों में भी नाराजगी है। कुछ और छोटी खड्डों के चैनेलाइजेशन के प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजे गए थे, परंतु मंजूर नहीं हो पाए हैं। प्रदेश विधानसभा में भी ये मसला विधायकों ने उठाया था, लेकिन इसमें केंद्र सरकार को भी मदद देनी है, लिहाजा विपक्ष इस पर अधिक दवाब नहीं बना पाया। इसके साथ प्रदेश सरकार की ओर से आईपीएच महकमे ने केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा था, जिस पर कोई जवाब नहीं मिला है। स्वां चैनेलाइजेशन के लिए राज्य सरकार ने भी पैसा देने की बात कही थी, लेकिन यहां इस साल के बजट में इसको कोई व्यवस्था अलग से नहीं की गई है। उधर, ठेकेदारों की लंबित राशि को पहले ही केंद्र सरकार ने दे दी थी, जिसमें भी अभी कुछ पैसा दिया जाना शेष है।

सरकार पर टकटकी

बरसात के दिनों में खड्डों के कारण परेशान लोग भी अब सरकार की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं, वहीं इनके तटीकरण से किसानों को भी पानी मिलना था। जैसे शाहनहर के तटीकरण से बड़ी संख्या में किसानों को फायदा मिल रहा है।