बंद होंगे 120 स्टोन क्रशर

उद्योग विभाग ने सभी माइनिंग आफिसर्ज को जारी किए निर्देश

शिमला —  उद्योग विभाग ने 120 क्रशरों को बंद करने के निर्देश सभी माइनिंग अधिकारियों को जारी कर दिए हैं। एक माह पूर्व इन क्रशर मालिकों को फाइनल नोटिस दिए गए थे, जिनके पास 150 करोड़ की राशि बतौर जुर्माना लंबित पड़ी है। इनमें से 22 लोग अदालत का दरवाजा खटखटा चुके हैं, जबकि शेष अब भी करोड़ों की राशि पर कुंडली जमाए बैठे हैं। हैरानी की बात है कि वर्ष 2006 से करोड़ों की यह रकम देय है, जिस पर क्रशर मालिक मनमाना रुख अपनाए बैठे हैं। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक इनमें से सभी क्रशर अवैध खनन के आरोपी पाए गए हैं। न तो इनके पास लीज अनुमति थी, न ही परमिट। उद्योग विभाग के माइनिंग विंग द्वारा जब इन पर छापमारी की गई तो इन्हें जुर्माना लगाया गया, मगर करोड़ों की यह जुर्माना राशि अब भी लंबित पड़ी है। हिमाचल के पूर्व मंत्री के धर्मपुर स्थित क्रशर पर ऐसे ही आरोप थे, मगर मंत्री द्वारा इसकी एवज में 35 लाख रुपए जमा करवाने की सूचना है। भाजपा के इस नेता का यह क्रशर उसके बेटे के नाम से चला है। इनमें से 34 क्रशर ऐसे बताए जाते हैं, जो ओवर प्रोडक्शन कर रहे थे। यानी उन्हें 50 मीट्रिक टन की अनुमति थी, पर वे 150 मीट्रिक टन से भी ज्यादा का उत्पादन करते पाए गए। हिमाचल में प्राकृतिक संसाधनों की किस तरह से चोरी होती है, यह इसकी एक जीवंत मिसाल है। सवाल उन अधिकारियों पर भी उठ रहे हैं, जिन्होंने इतने बड़े मामले में लंबे अरसे तक ढुलमुल रवैया अपनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। करोड़ों के इस राजस्व को इतना अरसा गुजर जाने के बाद भी जुर्माने के तौर पर क्यों नहीं वसूला गया, यह किसी बड़े रहस्य से कम नहीं। इनमें से ज्यादातर क्रशर कांगड़ा के डमटाल क्षेत्र में लगे हैं, जो सीमांत इलाका है। इनमें से अकेले एक क्रशर पर दस करोड़ का जुर्माना था। अब माइनिंग विंग द्वारा इन सभी क्रशर मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। बहरहाल, जिला स्तर पर माइनिंग अधिकारी इस मामले में कितनी तीव्रता से कार्रवाई अमल में लाएंगे, यह देखने वाली बात होगी।