मछलियों के मरने की वजह जानने पहुंची टीम

पानी के सैंपल की रिपोर्ट नेगेटिव, एक क्विंटल और मछलियां निकालीं

रिवालसर – रिवालसर झील के पानी के सैंपल की रिपोर्ट नेगिटिव रही है। झील के पानी में कुछ भी जहरीला नहीं पाया गया है। सोमवार को भी झील से एक क्विंटल मृत मछलियां निकाली गईं। रिवालसर झील में मर रही मछलियों के कारण जानने के लिए शुक्रवार को टीम पहुंची। सरकार द्वार गठित तीन सदस्यीय कमेटी ने झील परिसर व साथ सटे इलाकों का भी दौरा किया। इस दारौन कमेटी सदस्यों ने स्थानीय निवासियों से भी बातचीत की। समिति ने लोगों से बातचीत करने के जनता से सुझाव भी मांगे। सभी लोगों के सुझाव के बाद मछलियां बचाने के लिए कमेटी ने सरकार को सुझाव भेज दिए हैं। गौर करने वाली बात यह होगी कि कमेटी के कितने सुझाव धरातल पर लागू होते हैं और इसके बाद झील की हालत में कितना सुधार होता है। कमेटी के अध्यक्ष वन मंडलाधिकारी राकेश कुमार हैं। समिति के अन्य सदस्यों में सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिक से साइंटिस्ट कामराज कायथ और सदस्य प्रदूषण नियंत्रण विभाग ईं. दीपक डोगरा व मछली पालन विभाग के सहायक निदेशक खेम सिंह ठाकुर शामिल रहे।

ये एहतियात बरतें

*   झील किनारे गंदे पानी की निकासी के लिए  बनाई गई नालियों की मरम्मत की जाए, क्योंकि नालियों में जमा मिट्टी की वजह से गंदा पानी बाहर निकलने की बजाय परिसर सड़क पर आकर फिर से झील में मिल रहा है। रिवालसर झील परिसर में मछलियों को दिए जाने वाले खाद्य पदार्थ बेचने पर तुरंत रोक लगाई जाए। इसके साथ ही मछलियों को भी कुछ खिलाने पर बैन लगे।

*   रिवालसर झील में मिलने वाले सभी नालों में चैकडैम बनाए जाएं, ताकि बाहर का सारा पानी झील में फिल्टर होकर आए।

*   झील के साथ के सभी नालों में पानी साफ करने वाले रामबाण, बहणा और बान आदि पौधे लगाए जाएं। इसके अलावा परिसर में खाली स्थानों पर ऐसी घास लगाई जाए, जो कि झील को साफ रख सके। झील परिसर से अवैध कब्जे हटाए जाएं।

समिति सदस्यों पर दागे सवाल

कमेटी के दौरे के दौरान स्थानीय जनता ने भी कमेटी सदस्यों पर सवाल दाग दिए। लोगों ने सदस्यों से पूछा कि यह जांच मछलियों के  लिए हो रही है या झील बचाने के लिए, क्योंकि लोगों का कहना था कि अगर झील बचेगी, तो ही मछलियां डाली जा सकेंगी। इस पर सदस्यों ने कन्नी काटते हुए कहा कि हमें सरकार की ओर से मछलियों की मौत के कारण तलाशने के लिए कहा गया है।