वनों को आग से बचाने का सीखा तरीका

उत्तराखंड में इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम के आधार पर मॉक-ड्रिल में दिया ज्ञान

देहरादून — राज्य के वनाच्छादित क्षेत्रों में वनाग्नि संबंधित घटनाओं में न्यूनता व वन संपदा की क्षति को कम करने के साथ ही विभिन्न विभागों के बीच समन्वयन को बढ़ाने के उद्देश्य से आपदा प्रबंधन विभाग के द्वारा 20 अप्रैल, 2017 को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, भारत सरकार के सहयोग से वनाग्नि संबंधित मॉक अभ्यास, का आयोजन किया गया। वन विभाग सहित राज्य के सभी विभागों में इस अभ्यास में भाग लिया। साथ ही इस अभ्यास में सेना, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआरपीएफ व एनडीआरएफ ने भी भाग लिया। इस अभ्यास की प्रभाविकता को आंकने के लिए सेना द्वारा इंडिपेंडेंट ऑब्जर्वर भी रखे गए थे। दरअसल, इस प्रकार के अभ्यास उत्तराखंड जैसे राज्य के लिए इसलिए भी आवश्यक हैं, क्योंकि एक तो यहां का ज्यादा भू-भाग वनाच्छादित है और दूसरा यह कि चीड़ की बहुतायत के कारण यहां के जंगल वनाग्नि की दृष्टि से काफी संवेदनशील हैं। साथ ही समय-समय पर इस प्रकार के अभ्यासों से सिस्टम में व्याप्त कमियों को आंकलित करने के साथ ही पूरा का पूरा तंत्र घटना विशेष की स्थिति में रिस्पांस के प्रति सदैव सजग रहता है। इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम के आधार पर वनाग्नि के विशेष संदर्भ में मॉक अभ्यास आयोजित करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है। मॉक अभ्यास में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, भारत सरकार के सलाहकार मेजर जनरल वीके  दत्ता, सचिव आपदा प्रबंधन अमित नेगी, सीसीएफ आरके मिश्रा, एसपी सुबुद्धि, सीसी इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम विशेषज्ञ बीबी गणनायक के साथ ही आपदा प्रबंधन, वन विभाग, पुलिस, अग्निशमन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य,एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल, सूचना विभाग, नागरिक सुरक्षा, लोक निर्माण विभाग, पशुधन, विद्युत तथा अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों ने प्रतिभाग किया गया।