सबके अंबेडकर

( होश्यार सिंह भारती, टीहरी कांगड़ा )

डा. भीमराव अंबेडकर ने इस धरती पर एक महान विद्वान के रूप में ऐसे समय में पदार्पण किया, जब देश और समाज की स्थिति प्रतिकूल थी। जात-पात, धार्मिक व आर्थिक विषमता के बढ़ते प्रभाव के कारण देश असंतुलित तथा लाचार हो चुका था। भीमराव अंबेडकर जी का जीवन संघर्षों, उनके द्वारा की गई पददलित व शोषित जनता की अगवाई, देश के प्रति सेवाओं, संविधान के निर्माण में योगदान, उनकी विद्वता, उनके निर्मल चरित्र व बेदाग व्यक्तित्व और अपने सिद्धांतों पर अडिग रहने की दृढ़ता आदि गुणों से परिपूर्ण रहा। अंबेडकर जी द्वारा संचालित सामाजिक समानता और म्रातृभाव की स्थापना हेतु आंदोलनों का भरपूर उल्लेख मिलता है। अंबेडकर जी ने उन गंभीर सामाजिक संघर्षों  का प्रतिनिधित्व किया, जिनका राष्ट्रीय-आंदोलन की अगवाई करने वाले दलों ने पूरी तरह चित्रण नहीं किया। वह मूल तत्त्व की ओर मुड़े और उन्होंने सामाजिक रणभूमि में बिना कोई समझौता किए, अनेक संग्रामों का नेतृत्व किया। धर्म से जुड़ी हुई असमता व दमनकारी प्रथा आधारित नैतिकता  को खत्म करने के लिए वह निरंतर प्रयासरत रहे। ‘संघर्ष करो, संगठित रहो व शिक्षित हो’ का संदेश कोई एक जाति व वर्ग विशेष को नहीं, बल्कि समस्त मानव जाति के लिए दिया था। समरसता के इस वीर को शत्-शत् नमन।