बनना था डाक्टर, बन गए डायरेक्टर
इन्होंने अपने करियर की शुरुआत तो डाक्टरी पेशे से की, लेकिन भारतीय साहित्य और थियेटर में रुचि होने के कारण इन्होंने डाक्टरी पेशे को अलविदा कह दिया और अपना पूरा ध्यान हिंदी सिनेमा और टेलीविजन धारावाहिकों की ओर मोड़ दिया। 1990 में उन्हें ‘जी टीवी’ पर प्रोग्रामिंग डिवीजन हैड के तौर पर काम करने का अवसर भी मिला। ‘चाणक्य’ सीरियल से शुरू हुआ उनका सफर अब तक जारी है। 1996 में इन्होंने टीवी धारावाहिक ‘मृत्युंजय’ का भी निर्देशन किया, जो महाभारत के मुख्य कैरेक्टर कर्ण पर आधारित था। चाणक्य के बाद उन्होंने वर्ष 2003 में प्रसिद्ध उपन्यासकार अमृता प्रीतम के उपन्यास ‘पिंजर’ पर भी फिल्म का निर्देशन किया। यह फिल्म भारत-पाक बंटवारे के समय हिंदू-मुस्लिम की प्रेम कहानी पर आधारित है। टीवी धारावाहिक ‘छत्रपति शिवाजी’ के लिए संवाद लेखन का काम भी किया। चंद्र प्रकाश द्विवेदी को साउथ एशियन सिनेमा फाउंडेशन ने सन् 2009 में ‘ कल्चरल केटेलिस्ट’ अवार्ड से नवाजा। वर्तमान में चंद्र प्रकाश द्विवेदी फिल्म के निर्देशन में व्यस्त हैं। उन्हें भारत सरकार सेंसर बोर्ड का सदस्य भी नियुक्त किया जा चुका है।
सिनेमाई सफर
चाणक्य- 1991. मृत्युंजय- 1996.
एक और महाभारत- 1997. पिंजर-2003. उपनिषद गंगा-2012.
मोहल्ला अस्सी-2014. जेड प्लस- 2014. दि लीजेंड ऑफ कुनाल