सेना से बदसलूकी पर भी कुछ बोलें अब्दुल्ला

( डा. राजेंद्र प्रसाद शर्मा (ई-मेल के मार्फत) )

सोशल मीडिया पर इन दिनों कश्मीर में सेना को लेकर वायरल हो रहे दो वीडियो और उन पर प्रतिक्रियाएं गंभीर चिंता का विषय है। एक वायरल वीडियो में चुनाव कराकर आ रहे सैनिक के साथ कश्मीरी युवाओं द्वारा जिस तरह से अभद्रता की जा रही है और उसके बाद भी सैनिक द्वारा संयम बरतना अपने आप में भारतीय सैनिकों की सहनशीलता का परिचायक है, तो दूसरे वायरल वीडियो में सैनिकों द्वारा सेना के वाहन पर एक पत्थरबाज को बोनट पर बांधकर सुरक्षा कवच की तरह उपयोग करते हुए दिखाया गया है। इस वीडियो के मुद्दे को संसद में भी उठाया गया है और फारुक अब्दुला-उमर अब्दुला सहित अनेक नेताओं ने इस पर आपत्ति व्यक्त की है।  इन वीडियो पर सोशल मीडिया पर आ रही मुखर प्रतिक्रियाएं जनभावनाओं को समझने और तथाकथित मानवाधिकारवादियों की आंखें खोलने के लिए प्रर्याप्त हैं। प्रश्न यह उठता है कि देश की सरहदों की रक्षा करते हुए जान न्यौछावर करने वाले सैनिकों का बलिदान इन प्रतिक्रियावादी नेताओं को क्यों दिखाई नहीं देता। न ही तथाकथित मानवाधिकारवादियों को सैनिकों के साथ बदसलूकी या आए दिन हो रही पत्थरबाजी दिखाई दे रही है। जम्मू-कश्मीर की समस्या आज की समस्या नहीं है। यह भी सही है कि जो भी सरकार आई, उसने अलगाववादियों को गोद में बैठाकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने का प्रयास किया। अलगाववादियों को देश की राजधानी में जगह दी गई और इतना सब कुछ होने के बावजूद यही अलगाववादी देश की अस्मिता को खुली चुनौती दे रहे हैं। देश की जनता चाहती है कि अब्दुल्ला सैनिकों से बदसलूकी को लेकर भी संसद में कुछ बोलें।