हम संभालें सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स!

शिमला – प्रदेश में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की खस्ता हालत में सुधार लाने के लिए आईपीएच विभाग के पर्यावरणीय इंजीनियरों ने पहल की है। विभाग में तैनात एमटेक इन्वायरनमेंट की पढ़ाई करने वाले कुछ अभियंताओं ने पहल करते हुए विभाग की प्रधान सचिव को इस पर सुझाव पत्र सौंपा है। उन्होंने खुद जाकर प्रधान सचिव को बताया कि प्रदेश में चल रहे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स को नई तकनीक के माध्यम से कैसे बेहतर बनाया जा सकता है। उम्मीद की जा रही है कि इनके सुझावों पर विभाग जल्दी ही फैसला लेगा और नए सिरे से काम किया जाएगा। इस संबंध में विभाग के आठ अभियंताओं ने प्रधान सचिव सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग अनुराधा ठाकुर से वार्ता की है। ये सभी विभाग में एसडीओ के पद पर तैनात हैं, परंतु अलग से उन्हें इस तरह की जिम्मेदारी नहीं दी गई है। क्योंकि एसटीपी का मसला पर्यावरण से जुड़ा हुआ है और विभाग में सिविल इंजीनियर ही इस पूरे कामकाज को देख रहे हैं। ऐसे में उन इंजीनियरों की जरूरत है, जो कि पर्यावरणीय मामलों से संबंध रखते हैं। अब आईपीएच में ऐसे कई अभियंता हैं, जो कि पर्यावरणीय विषय में एमटेक करके लगे हैं। इनमें से आठ अभियंताओं ने पहल करते हुए सरकार को एसटीपी के बेहतर संचालन के लिए खुद सलाह दी है। इन अभियंताओं में संजय कौशल, संजीव वोहरा, संजय आचार्य, अनूप कुमार, राहुल अबरोल, महेश अत्री तथा राजीव डोगरा शामिल हैं। इन्होंने प्रधान सचिव अनुराधा ठाकुर, अंडर सेके्रटरी मनमोहन जस्सल, छवि नांटा, अनिल बाहरी के साथ पूरे मसले पर चर्चा की और अपने सुझावों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। गौरतलब है कि प्रदेश में 40 से ज्यादा एसटीपी चलाए जा रहे हैं और आईपीएच विभाग इनके सही तरह से संचालन में सफल नहीं हो पाया है। विधानसभा में भी इस मामले को उठाया जा चुका है, जिसमें खुलासा हुआ था कि ये एसटीपी सही जगह व सही प्रणाली से नहीं बने हैं। शिमला में एसटीपी की खस्ता हालत के चलते पीलिया तक फैल चुका है, जिसने कई लोगों को मौत की नींद सुला दिया और कइयों को बिस्तर पर पहुंचा दिया है। गर्मियों में ही गंदे पानी की वजह से बीमारियां फैलती हैं। किसी विभाग के अधिकारियों ने अपने स्तर पर पहली दफा इस तरह की कोई कोशिश की है।