( केसी शर्मा, गगल, कांगड़ा )
विश्व शांति के लिए जरूरी है कि हम विकट से विकट समस्या का हल बातचीत से निकालें। भारत और पाकिस्तान के संबंध आज की तारीख में बिगड़े हुए हैं। बातचीत के लिए जब भी आशा बनी, तभी पाकिस्तान के आतंकवादियों ने कोई ऐसी हरकत कर दी, जिससे बातचीत की उम्मीद और आगे सरक गई। शांति वार्ता के पक्ष में पाकिस्तानी फौज के कमांडर भी नहीं हैं। तनाव बनाए रखने के लिए सरहद पर खून-खराबा करने की उनकी आदत है। पाकिस्तानी सियासत भी अपने देश की फौज से घबराहट महसूस करती है। पाकिस्तानी फौज पर पाकिस्तान सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। पाकिस्तान की फौज ने जम्मू-कश्मीर की शांति भंग करने का जिम्मा लेकर यह उम्मीद जिंदा रखी है कि जम्मू का विषय विवादित है कश्मीर पाकिस्तान का है। पाकिस्तान की इस सोच का समर्थन मुट्ठी भर कश्मीरी युवक कर रहे हैं। घाटी की महबूबा सरकार जिसको भाजपा का समर्थन मिला हुआ है, यह सरकार भी इसका कोई हल निकालने में नाकाम रही है। यह सरकार न भारतीय सेना का सम्मान करती है न ही उनके बलिदान की कद्र। प्रधानमंत्री ऐसी निक्कमी सरकार पर कोई प्रश्न चिन्ह नहीं लगाते।