खूबसूरत जिंदगी

फूलों को छूकर देखो

पंखुडि़यों को सहलाओ

हरी पत्तियों को जी भर कर चूमो

सुगंध को दामन में भरकर

खुशियों के गीत गुनगुनाओ।

झरनों के पानी में

जीवन के सुमधुर तराने सुनो

उमड़ते-घुमड़ते जलंधरों के साथ-साथ

सृजन के सपने बुनो

मिट्टी की महक में घुलमिल जाओ

और हरियालियों में डूबकर

नवपल्लवों में मुस्कराओ।

जी भर कर निहारो, सितारों की टोलियों को

मन से सुनो परिंदों की चहकती बोलियों को

चांदनी की धवल चादर पे, कुछ पल लेटो-सुस्ताओ

भंवरों संग बतियाओ

बहारों के रंग चुराओ।

प्रेम गीत सुना

प्रेम गीत सुनाओ

हवा की थिरकन को

हृदय पटल पे रखकर

संग जुगनुओं के टिमटिमाओ।

जिंदगी की सब विभीषिकाएं

नित नहीं रहतीं

इस ख्याल में खूबसूरत लम्हों को

यूं ही व्यर्थ मत गंवाओ

जिंदगी की खूबसूरती को

अंजुरी में भरकर बेशक पी जाओ और

इस खूबसूरती को ईश्वर के उपहार की मानिंद

विचारों-संवारों और सजाओं।

अशोक दर्द, प्रवास कुटीर, गां. व डा. बनीखेत, जिला चंबा हिप्र

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