नहीं रहे पर्यावरण मंत्री अनिल माधव

नई दिल्ली— केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनिल माधव दवे का गुरुवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 60 वर्ष के थे और अविवाहित थे। श्री दवे को सुबह अचानक तबीयत बिगड़ जाने पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ले जाया गया, जहां दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। पर्यावरण मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार श्री दवे का गुरुवार को ही विमान से कोयंबटूर जाने का कार्यक्रम था, लेकिन इसी बीच सुबह उन्होंने बेचैनी की शिकायत की, जिसपर उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाना पड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री दवे के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मैं बुधवार देर शाम तक अनिल दवे जी के साथ था। उनके साथ नीतिगत मुद्दों पर चर्चा कर रहा था। उनका निधन मेरी निजी क्षति है। सभी केंद्रीय मंत्रियों ने श्री दवे के निधन पर शोक व्यक्त किया है। श्री दवे के सम्मान में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अलावा सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानियों के सभी सरकारी भवनों और कार्यालयों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया गया। श्री दवे का अंतिम संस्कार शुक्रवार सुबह होशंगाबाद जिला के बांद्रा भान स्थित शिवनेरी आश्रम में किया जाएगा। मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद श्री दवे पर्यावरण मंत्री बनने से पहले ही पर्यावरण संरक्षण के विभिन्न अभियानों में अरसे से सक्रिय रहे थे। उन्होंने निधन से पांच साल पहले 23 जुलाई, 2012 को ही अपनी वसीयत लिख दी थी, जिसमें उन्होंने अपना अंतिम संस्कार होशंगाबाद जिला के बांद्राभान में नर्मदा नदी के तट पर करने तथा उनकी स्मृति में पौधारोपण एवं जल संरक्षण किए जाने की इच्छा व्यक्त की थी। उन्होंने लिखा था कि मेरी स्मृति में कोई स्मारक, प्रतियोगिता, पुरस्कार, प्रतिमा स्थापन इत्यादि न हों। मेरी स्मृति में यदि कोई कुछ करना चाहता हो तो वह पौधे रोपे और उन्हें संरक्षित करके बड़ा करें तो मुझे बड़ा आनंद होगा। वैसे ही नदियों एवं जलाशयों के संरक्षण में भी अधिकतम प्रयत्न किए जा सकते हैं।

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