फिर से बंदर निर्यात करने की तैयारी

उत्पात की समस्या का स्थायी समाधान न मिल पाने के बाद अब केंद्र से उठेगा मामला

शिमला —  हिमाचल सरकार वानर समस्या का स्थायी समाधान न मिल पाने के बाद अब फिर से केंद्र सरकार से वानर निर्यात की अनुमति मांगने की तैयारी कर चुकी है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक इस बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसमें प्रदेश को कृषि-बागबानी क्षेत्र में पहुंचने वाले 300 करोड़ से भी ज्यादा नुकसान का हवाला दिया गया है, वहीं हर दिन विभिन्न क्षेत्रों में वानरों द्वारा लोगों को काटे जाने की भी घटनाओं का जिक्र है। इसमें स्टरलाइजेशन के आंकड़ों का भी जिक्र किया जा रहा है। वन विभाग का वाइल्ड लाइफ विंग अब इस नए कदम को उठाने के लिए इसलिए मजबूर हुआ है, क्योंकि प्रदेश के किसी भी हिस्से में प्राइमेट पार्क स्थापित करने के लिए लोगों के प्रतिरोध के चलते जमीन ही उपलब्ध नहीं हो पा रही है। जुब्बड़हट्टी के समीप पिछले महीने लोगों के दबाव के चलते प्राइमेट पार्क के टेंडर रद्द करने पड़े थे। अब फिर से शोघी व तारादेवी के समीप तीन-चार एकड़ जमीन उपलब्ध नहीं हो पा रही है। ऐसा ही कदम हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन व कुछ अन्य क्षेत्रों में भी उठाया जाना था, मगर वन मुख्यालय को जो रिपोर्ट्स मिली हैं, उसमें फील्ड अधिकारियों ने कहा है कि स्थानीय लोग ऐसे किसी भी पार्क के लिए तैयार नहीं हैं। यही वजह है कि अब फिर से केंद्र से वानर निर्यात करने के लिए अनुमति मांगी जा रही है। इससे पहले सिंबलवाड़ा में भी ऐसे ही प्राइमेट प्रोजेक्ट की तैयारी थी, मगर इसकी अनुमति नहीं मिल सकी थी। केंद्र की तरफ से कहा गया था कि लंबे समय तक वानरों को एन्क्लोजर में नहीं रखा जा सकता है। प्राइमेट पार्क में वानरों को न केवल दो वक्त का खाना मुहैया करवाने की योजना थी, बल्कि नियमित आधार पर उनका मेडिकल चैकअप भी किया जाना था। प्रदेश के विभिन्न इलाकों से स्टरलाइजेशन के बाद पकड़े गए वानरों को यहां रखने की योजना थी। प्रदेश में अब तक सवा लाख वानरों की स्टरलाइजेशन की जा चुकी है। प्रदेश में स्थित नौ स्टरलाइजेशन सेंटर्ज में हर रोज लगभग 15 बंदरों की स्टरलाइजेशन की जा रही है।

वानरों में बढ़ रहा चर्म रोग

शिमला के बंदरों में चर्म रोग एक महामारी की तरह बढ़ रहा है। अंदेशा यह भी है कि यदि इसकी समय रहते रोकथाम नहीं की गई तो स्थानीय लोगों के लिए भी यह दिक्कत बन सकती है।

आएंगी दिक्कतें

रोगग्रस्त वानरों को निर्यात करने की अनुमति केंद्र देगा भी, इसे लेकर भी संशय है। शिमला में ही हर महीने वानरों द्वारा लोगों को काटे जाने की 30 से भी ज्यादा घटनाएं पेश आ रही हैं।

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