रेडक्रॉस कर्मचारी भी आएंगे कांट्रैक्ट में

कैबिनेट जल्द लेगी फैसला, अरसे से स्थायी नीति की उठ रही थी मांग

शिमला —  स्वास्थ्य विभाग में विभिन्न सोसायटीज के तहत काम करने वाले कर्मचारियों के अुनबंध पर लाने पर जल्द फैसला होगा। खास बात यह है कि अब इस योजना के दायरे में रेडक्रॉस सोसायटियों के कर्मचारियों को भी शामिल किया जा रहा है। हालांकि सोसायटी कर्मचारियों को अनुबंध में लाने के लिए बीते वर्ष ही कमेटी ने रिपोर्ट सरकार को दे दी थी, लेकिन मामला लटका रहा। सूत्रों का कहना है कि इस योजना में रेडक्रॉस के कर्मचारियों को शामिल करने को लेकर पेंच था। इसी कारण लंबे समय से मामला लटका पड़ा था। अब सरकार ने निर्णय लिया है कि इस योजना के तहत रेडक्रॉस के कर्मचारियों को भी अनुबंध पर लाया जाएगा। इसके लिए नए सिरे से रिपोर्ट तैयार की जा रही है और अब मामला कैबिनेट में ले जाने की तैयारी है।  सरकार की ओर से वर्ष 2016 में तत्कालीन प्रबंध निदेशक नेशनल हैल्थ मिशन हंसराज शर्मा की अध्यक्षता में गठित की गई थी। अगस्त, 2016 में कमेटी की पहली बैठक हुई थी और एक माह के अंदर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी सरकार को सौंप दी थी। इसमें कहा गया था कि स्वास्थ्य विभाग के तहत विभिन्न समितियों में करीब 1500 कर्मचारी काम कर रहे हैं। इसमें कई कर्मचारी पिछले कई सालों से सोसायटीज के तहत काम कर रहे हैं, लेकिन आर एंड पी रूल न होने के कारण अभी तक इन सोसायटीज के कर्मचारियों के लिए स्थायी नीति नहीं बन पाई है। स्वास्थ्य विभाग में एड्स कंट्रोल सोसायटी समेत कई अन्य समितियां काम कर रही हैं। इन समितियों के माध्यम से विभाग की योजनाएं आम लोगों तक पहुंचाई जाती हैं। ऐसी ही अन्य सोसायटीज के तहत काम कर रहे कर्मचारियों के वेतन को लेकर भी कोई ठोस नीति नहीं बनी है। इन कर्मचारियों को सोसायटी के फंड से ही वेतन दिया जाता है। कई बार केंद्र से समय पर फंड रिलीज न होने के कारण कर्मचारियों को दो से तीन महीनों तक का वेतन समय पर नहीं मिल पाता है। इन समस्याओं से निपटने के लिए ही सरकार की ओर से कमेटी का गठन किया गया था।

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