विदेशी फलों से हरे-भरे होंगे प्रदेश के बाग

हिमाचल में बागबानी के विकास को वर्ल्ड बैंक देगा 1200 करोड़ की मदद

धर्मशाला —  हिमाचल प्रदेश उद्यान एवं बागबानी विभाग विश्व बैंक की सहायता से प्रदेश में पैदावार बढ़ाने को महत्त्वाकांक्षी योजना के तहत कार्य करेगा। योजना के तहत विश्व बैंक हिमाचल की बागबानी को विदेशों की तर्ज पर विकसित किए जाने के लिए 1169 करोड़ रुपए की सहायता करेगा। इसमें प्रदेश की बागबानी को सींचने के लिए ही 350 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे, जिससे पहाड़ों से लेकर मैदानों के हर पौधे को उचित पानी मिल सकेगी। इस योजना के तहत प्रदेश में उच्च गुणवत्ता वाले फलों के पौधों का विदेशों से आयात किया जाएगा। इतना ही नहीं, इस योजना में तीन प्रकार के पौधों को आयात किया जाएगा। हिमाचल की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए उच्च पहाड़ी क्षेत्रों, मध्यम वर्गीय और मैदानी क्षेत्रों में एक ही पौधों की अलग-अलग किस्में विदेशों से लाई जाएंगी। एक ही प्रजाति के फलों को तीन तरह के वातावरण में आसानी से तैयार किया जा सकेगा। प्लान के तहत एक लाख के करीब पौधों का आयात अब तक कर लिया गया है। इन पौधों को विभाग ने अपनी देखरेख में विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों में रखा है, ताकि विदेशी नुकसानदायक वायरस भारत में न पहुंच पाए। इन पौधों को एक वर्ष तक जांच किए जाने के बाद ही बागबानों को वितरित किया जाएगा। प्रदेश की बागबानी को संजीवनी प्रदान करने वाली इस योजना के तहत प्रदेश में सेब, नाशपाती, चैरी व अखरोट का आयात इटली व फ्रांस से किया गया है। इस वर्ष एक लाख पौधों का आयात किया गया है। इसमें से 12 हजार पौधे अखरोट व 89 हजार पौधे सेब की विभिन्न किस्मों के आयात किए जा चुके हैं। विभाग ने विश्व बैंक की मदद से प्रदेश में फलों का उत्पादन तीन गुना तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इतना ही नहीं, विभाग इन पौधों की तर्ज पर अगामी वर्षों में इस तरह के पौधे स्वयं भी तैयार करेगा।

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