शब्द वृत्ति

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर )

भूषण है यह राष्ट्र का

भूषण है यह राष्ट्र का, जाधव जिंदाबाद

बड़ी किरकिरी हो गई, पाक करेगा याद

मोदी, सुषमा, साल्वे, भारत की है जीत

खोया हीरा फिर मिला, परिजन को मधुमीत,

खूब दिवाली मन रही, खुशियों की बरसात

मातम मना पड़ोस में, घनी अंधेरी रात

आखिर फांसी पर लगी, आईसीजे की रोक

हाफिज और शरीफ मिल, मना रहे हैं शोक

फक्कड़ तेरे घर गया, तू समझा कमजोर

दाड़ी में तिनका फंसा, हाफिज ही है चोर

कौन भेजता हिंद में, किसके हैं जासूस

लांछन जाधव को लगा, तू असली मनहूस

नकटे फिर कट गई, नकटे को क्या फर्क

फटा पजामा चौक पर,बेड़ा हो गया गर्क

अब क्यों छाती पीटता, बिगड़ा बड़ा मिजाज

सिट्टी-पिट्टी गुम हुई, कुछ तो बोल नवाज

लोटा लेकर भागता, हांफ रहा दिन-रात

पेचिश ऐसी लग गई, कुछ मत पूछो बात

झूठ, झूठ पर झूठ है, झूठा है आरोप

दुनिया में मजबूत है, हिंद बना अब तोप

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