शांति का पाठ बंद करो, दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दो

हमीरपुर  – कश्मीर पर राजनीति करने की बजाय राजनीतिक पार्टियों को सरकार का साथ देना चाहिए। कश्मीर देश का अभिन्न अंग है। हर बार कश्मीर के मसले को लेकर हुए आतंकी हमलों में देश ने वीर जवान खोए हैं। कश्मीर में सेना को फ्री हैंड कर देना चाहिए। अगर सेना फ्री हैंड होगी, तभी दुश्मन पर तुरंत कार्रवाई हो सकेगी। हर बार सरकार के आदेशों का इंतजार सेना को करना पड़ता है। इस दौरान दुश्मन अपने मंसूबों में कामयाब हो जाता है। यह कहना है घराण के रिटायर्ड कैप्टन सुभाष चंद का। उनका कहना है कि सेना को अपने तरीके से आपरेशन के लिए सभी शक्तियां प्रदान की जाएं। इससे सेना का भी मनोबल बढ़ेगा। आपरेशन के लिए फ्री हैंड होने से सेना और बेहतर तरीके से कार्य करेगी, वहीं इसके परिणाम भी पहले से कहीं ज्यादा संतोषजनक होंगे। उनका कहना है कि पत्थरबाजों और हुर्रियत को देशद्रोह संगठन घोषित करें। इन संगठनों ने हमेशा देश व सेना का तिरस्कार किया है। इनके साथ आतंकवादी जैसा ही व्यवहार होना चाहिए। पत्थरबाजों को अब पत्थर से नहीं बल्कि गोली से जवाब देने का समय आ गया है। आखिर कब तक ऐसे आतंकी संगठनों की दरिंदगी सेना झेलेगी। इनका कहना है कि इन पत्थरबाजों की सारी सुविधाएं बंद होनी चाहिए। उनका कहना है कि भारतीय सेना विश्व की तीसरी बड़ी और शक्तिशाली सेना है। भारत की सेना ने हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया है। विश्व के बड़े-बड़े देश भी हमारी सेना का कमाल देख चुके हैं। वहीं, कई बड़े देश के दुश्मनों ने सेना के आगे घुटने टेके हैं। आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश जारी होते की चंद पलों में दुश्मनों का सफाया हो जाएगा। उनका कहना है कि अगर जरूरत पड़ती है तो कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए, ताकि सेना अपने तरीके से कार्य को अंजाम दे सके। यहां पर हमेशा ही हालत बिगड़े रहते हैं। सेना को फ्री हैंड करते ही सारा सिस्टम कंट्रोल में आ जाएगा। सेना निर्दोष को सजा नहीं देती और दोषी का छोड़ती नहीं। देश की सुरक्षा की तरफ आंख उठाकर देखने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब बहुत हो गया। दुश्मन देश को उसी की भाषा में जवाब देने का समय आ गया है। अब हमें और इंतजार नहीं करना चाहिए। पहले भी दुश्मन पर कई बार हमदर्दी दिखाई गई है। इसी का फायदा उठाकर दुश्मन देश ने और आतंकी पैदा किए। अब यह आतंकी देश की सीमाओं पर हमारे जवानों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि कश्मीर हालात के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग करें, ताकि हालात सामान्य हो सकें। सुभाष चंद का कहना है कि हमारे पूर्वजों ने जान की बाजी लगाकर देश को अंग्रेजों से आजाद करवाया है। अगर दुश्मन देश को उसकी कार्रवाई का उचित जवाब नहीं मिला तो देश फिर से गुलामी की जंजीरों में जकड़ सकता है। कभी भी दुश्मन को कम न ही आंकना चाहिए। जिस उम्र में भारत के बच्चे पढ़ाई करते हैं, उस उम्र में पाकिस्तान में बच्चे आतंकी संगठनों से मिलकर बंदूक उठा लेते हैं। इससे साबित हो रहा है कि दुश्मन देश भारत के साथ कभी भी दोस्ती नहीं चाहता। अब समय आ गया है कि इस देश को मुंहतोड़ जवाब दिया जाए।

यह उम्मीद है सरकार से

सरकार चाहे तो कुछ भी कर सकती है। पिद्दी भर देश हमारी सीमा में घुसकर सैनिकों के सिर कलम कर देता है और हम शांति की अपील करते रह जाते हैं। अब सरकार को आर-पार की लड़ाई लड़नी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय दबाव को भूल जाओ, पाकिस्तान को घर में घुसकर मारो। इसके लिए सरकार को फौज को फ्री हैंड दे देना चाहिए। दस दिन में दुनिया के नक्शे से यह आतंकी मुल्ख गायब हो जाएगा और अमन-चैन बहाल होगा। न किसी का बेटा शहीद होगा, न किसी की असमय मांग उजड़ेगी, न किसी बच्चे के सिर से बाप का साया उठेगा। आतंकियों की जब नर्सरी ही खत्म हो जाएगी, तो विश्व भी दहशतगर्दी से मुफ्त हो जाएगा।

शहादत का बदला लो

आतंकी हमलों में हमारे देश के बहुत से नौजवान सैनिकों ने जान गंवाई हैं। मां भारती की रक्षा करना जवानों का फर्ज है, लेकिन दुश्मन पर उचित कार्रवाई न करके सैनिकों को मौत के मुंह में खड़े कर देना भी कतई सही नहीं है। उन्होंने भारत सरकार से आग्रह किया है कि आपातकालीन स्थिति में सेना को फ्री हैंड कर दिया जाए, तुरंत कार्रवाई का अधिकार सेना को होना चाहिए। इससे समय पर दुश्मन को उसकी गुस्ताखी का जवाब मिलेगा, वहीं देश की सही सुरक्षा होगी।

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