सचिवालय के बाहर गरजेंगे मजदूर

मांगें मनवाने के लिए सीटू के बैनर तले आज होगा प्रदर्शन

शिमला  —  सीटू राज्य कमेटी प्रदेश के मजदूरों की मांगों के समर्थन में मंगलवार को शिमला सचिवालय के बाहर प्रदर्शन करेगी। इस प्रदर्शन में औद्योगिक मजदूर, आंगनबाड़ी, मिड-डे मील, आशा वर्कर्ज, मनरेगा वर्कर्ज व निर्माण मजदूर हजारों की संख्या में भाग लेंगे। सीटू राज्य कमेटी के अध्यक्ष जगत राम ने आरोप लगाया कि प्रदेश की वीरभद्र सरकार मजदूरों की मांगों को पूरा करने में अडिय़ल रवैया अपना रही है। प्रदेश में सबसे कम न्यूनतम वेतन दिया जाता है। स्कीम वर्कर्ज के लिए जिनमें आशा वर्कर्ज मिड-डे मील, आशा वर्कर्ज को भी अन्य राज्यों से कम वेतन दिया जाता है। प्रदेश में श्रम कानूनों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जब मजदूर श्रम कानून लागू करने की बात करते हैं तो सरकार उद्योगपतियों व ठेकेदारों का साथ देती है और सरकारी तंत्र का सहारा लेकर मजदूरों के आंदोलन को दबाने का काम करती है। उन्होंने कहा कि शोंग-टोंग में मजदूर पिछले 15 महीनों से आंदोलन कर रहे हैं, वहां आंदोलन को कुचलने के लिए सात बार धारा 144 लगाई गई। साथ ही मनरेगा व निर्माण मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण नहीं किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि वीरभद्र सरकार ने साढ़े चार साल पूरी तरह मजदूरों व गरीबों के विरुद्ध कार्य किया और बड़े-बड़े उद्योगपतियों का साथ दिया। सीटू ने मांग की है कि प्रदेश में 18000 रुपए न्यूनतम वेतन दिया जाए और उसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के साथ जोड़ा जाए। उन्होंने मांग की कि ठेका प्रथा को बंद किया जाए, मनरेगा मजदूरों व निर्माण मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण किया जाए, आशा व मिड-डे मील आशा वर्कर्ज को सरकारी कर्मचारी माना जाए तथा मनरेगा में 50 दिन का कार्य पूरा करने पर कल्याण बोर्ड में पंजीकृत किया जाए। यदि सरकार मांगों को जल्द पूरा नहीं करेगी तो आने वाले विधानसभा में इसका माकूल जवाब दिया जाएगा।

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