स्थानीय भाषा में जमलू कहा जाता है ऋषि जमदग्नि को

प्राचीन गणराज्यों के स्वरूप आज भी हिमाचल प्रदेश में उसी रूप में विद्यमान हैं। उदाहरण के लिए हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला में मलाणा जनपद को देखा जा सकता है। मलाणा जमदग्नि ऋषि का गणराज्य या जनपद है। स्थानीय भाषा में ऋषि को जमलू कहते हैं…

गणराज्य व्यवस्था

औदुंबर- औदुंबरों के चांदी के सिक्के इस बात के प्रमाण हैं कि वे लोग बहुत दूर विदेशों में ऊनी वस्त्रों का व्यापार करते थे। इसके अतिरिक्त औदुंबरों के सिक्कों में ऋषि विश्वामित्र के चित्र का भी विशेष महत्त्व है। कालिका पुराण के अनुसार भृगु ऋषि के उपदेश पर विश्वामित्र की मां ने संतान प्राप्ति की इच्छा से उदुंबर वृक्ष के साथ आलिंगन किया और परिणामस्वरूप विश्वामित्र पैदा हुए और उनकी संतान को औदुंबरों का उदुंबर वृक्ष और ऋषि विश्वामित्र से संबंध स्थापित हो जाता है। यह भी उल्लेखनीय है कि गद्दी लोगों में प्रचलित विश्वास के अनुसार वे विश्वामित्र की संतान हैं। उनका विचार है कि उनका ‘वसोहली’ क्षेत्र वास्तव में ‘विश्वमित्रालय’ है। इन आधार पर हिमाचल के गद्दी लोगों को औदुंबरों की संतान मानने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

गणतंत्रात्मक शासन पद्धति : वैदिक काल में राजनीतिक इकाई ‘ग्राम’ थी। ग्राम के मुखिया को ‘ग्रामिणी’ कहा जाता था। एक ग्राम अनेक ‘कुलों’ को मिलाकर बनता था। अनेक ग्रामों के समूह को ‘विश’ कहते थे। बहुत से विशों के समूह को ‘जन’ कहा जाता था।

विश का अर्थ जनसाधारण माना जाता था और जनपद का प्रयोग देश या राष्ट्र के अर्थ में किया जाता था। ग्राम के प्रबंध के लिए ग्रामिणी की सहायता हेतु एक ग्राम सभा होती थी। इसी तरह राज्य के प्रबंध के लिए ‘एकादशी रत्नी’ सभा होती थी, जिसके 11 रत्न इस प्रकार होते थे-सैनानी, पुरोहित, क्षतत्र, महर्षि, सूत, ग्रामिणी, क्षत् (अंतःपुर अध्यक्ष), संग्रहीतृ (कोषाध्यक्ष), अगद्रुह (कर आदि का अध्यक्ष), अक्षवाय (लेखाध्यक्ष) तथा गोविकर्त (वनाध्यक्ष)। वैदिक काल की यह शासन और राज्य प्रणाली वैदिकोत्तर गणराज्यों के माध्यम से आज तक हिमाचल प्रदेश में प्राप्त हुई है। गण के राजनीतिक और सामाजिक विकास के लिए एक निर्वाचित परिषद हुआ करती थी। इसके सदस्यों को बहुमत के आधार पर गणों के निवासियों द्वारा चुना जाता था और उनकी संख्या गण के छोटे या बड़े होने पर निर्भर करती थी। केपी जायसपाल ने अपनी पुस्तक ‘हिंदू पोलिटी’ में लिखा है कि ब्यास नदी के समीप एक समृद्ध गणराज्य में पांच हजार पार्षद थे, जिनमें से प्रत्येक एक-एक हाथी राज्य को देते थे। परिषद के सदस्य अपने में से एक नेता चुनते थे, जिसे राजन्य, राजा, महाराजा या महासेनापति कहा जाता था। प्राचीन गणराज्यों के स्वरूप आज भी हिमाचल प्रदेश में उसी रूप में विद्यमान हैं। उदाहरण के लिए हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला में मलाणा जनपद को देखा जा सकता है। मलाणा जमदग्नि ऋषि का गणराज्य या जनपद है। स्थानीय भाषा में ऋषि को जमलू कहते हैं।

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