हिमाचली पुरुषार्थ : सामाजिक सरोकारों के सरकार ‘ यूनुस ’

जैसे ही उन्हें शहीद परमजीत के परिवार के बारे में पता चला तो उन्होंने किसी राज्य नहीं बल्कि देश के एक वीर सैनिक की बेटी को गोद लिया। उन्होंने समाज को भी यही संदेश देने की कोशिश की है कि  लोग भी समाज सेवा करें तथा सरहद पर तैनात सैनिकों को यह संदेश दें कि हम उनके पीछे पूरी तरह से खड़े हैं…

आज के आधुनिक समाज एवं महानगरीय संस्कृति की चकाचौंध में जब हर तरफ सामाजिक मूल्य गौण हो रहे हैं, तो ऐसे में देश के एक आईएएस अधिकारी ने मानवीय संवेदनाओं की वो मिसाल पेश की, जो न केवल समाज के लिए प्ररेणा बन गई बल्कि शासन-प्रशासन  के स्तर पर शहीदों के लिए किए जा रहे दावों की कड़ी में मील का पत्थर साबित हुई है। प्रदेश में कुल्लू जिला के उपायुक्त युनूस खान ने देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए शहीद हुए एक जाबांज की बेटी को गोद लेकर असल में उन सभी शहीदों की शहादत को सलाम किया है। पंजाब के तरनतारन में शहीद की बेटी को गोद लेने के बाद प्रदेश भर में सुर्खियों में आए कुल्लू के डीसी युनूस समाज सेवा के लिए कई विभिन्न पुरस्कारों से भी सम्मानित किए जा चुके हैं। उपायुक्त कुल्लू युनूस ने बताया कि उन्होंने हरियाणा में प्रशासनिक सेवा की परीक्षा को भी उर्त्तीण किया हुआ है। वहीं, उन्होंने इंडियन फोरेस्ट सर्विस टेस्ट को पास करने के बाद ही आईएएस किया हुआ है। छह नवंबर को मोहम्मद नजीर और अमीना के घर जन्मे युनूस बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। सिविल सर्विस में अाने के बाद जब वह लोगों का दुख-दर्द सुनते थे, तो उनका भी दिल पसीज जाता था। उन्होंने कहा कि बेटे की कमी को तो कभी पूरा नहीं किया जा सकता है, लेकिन शहीद की बेटी को गोद लेकर उन्होंने उनके माता-पिता को एक बेटे की कमी को दूर करने का प्रयास भी किया है। उन्होंने बताया कि जैसे ही उन्हें शहीद परमजीत के परिवार के बारे में पता चला तो उन्होंने किसी राज्य नहीं बल्कि देश के एक वीर सैनिक की बेटी को गोद लिया। उन्होंने समाज को भी यही संदेश देने की कोशिश की है कि  लोग भी समाज सेवा करें तथा सरहद पर तैनात सैनिकों को यह संदेश दें कि हम उनके पीछे पूरी तरह से खड़े हैं। उपायुक्त कुल्लू की सारी पढ़ाई कुल्लू में ही हुई तथा अभी वर्तमान में वह जेएनयू दिल्ली से लॉ एंड गवर्नेंस के विषय पर पीएचडी कर रहे हैं। उपायुक्त युनूस की एक बहन कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर इतिहास के पद पर तैनात हैं। उपायुक्त कुल्लू को ऐसे सराहनीय कार्यों के लिए वर्ष 2013 में हरियाणा के राज्यपाल हरियाणा प्रतिभा के सम्मान से भी सम्मानित कर चुके हैं। एसडीएम नालागढ़ रहते हुए जब युनूस ने अवैध खनन करने वालों पर नकेल कसी थी, तो इन्हें प्रदेश के अग्रणी मीडिया गु्रप ‘दिव्य हिमाचल’ ने भी एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया था।

मां के टिफिन के साथ आईएएस की तैयारी

यूं तो हर संतान का अपनी माता के साथ गहरा लगाव होता है, लेकिन युनूस के प्रति उनकी मां का स्नेह इतना गहरा था कि बेटे ने अपनी माता के टिफिन के साथ ही भारतीय प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी की।

– संदीप शर्मा, कुल्लू

जब रू-ब-रू हुए…

शहीद की बेटी को गोद लेना सौभाग्य की बात…

समाज में आप रिश्तों को कैसे चुनते हैं, जबकि इस युग की दौड़ में निजी स्वार्थ व महत्त्वाकांक्षा जीवन के हर पहलू पर हावी हो रही है?

बेशक इस आधुनिक युग में हर कोई पहले अपना फायदा देखता है, लेकिन जैसे ही मैने शहीद परिवार की पीड़ा को सुना तो तमाम महत्त्वाकांक्षाओं को एक तरफ  रखते हुए पहले सामाजिक रिश्ते को निभाना जरूरी समझा।

कब से किसी की बेटी को गोद लेने का सोच रहे थे और इस चयन में शहीद परिवार कैसे जुड़ा?

हम प्रशासनिक तौर पर ‘बेटी अनमोल है’ इस थीम से आगे बढ़ रहे हैं तथा शहीद वीर सैनिक के बारे में जैसे ही मैने सुना तो अपनी पत्नी से चर्चा कर एकदम से बेटी को गोद ले लिया।

एक नए रिश्ते में आप परिवार और धर्म के बाहर निकल कर क्या पाने की उम्मीद रखते हैं। इस योगदान में आप भविष्य को कैसे रेखांकित करना चाहेंगे?

यह धर्म आदि चीजें इनसान के द्वारा ही बनाई गई है। एक बेटे की कमी को तो हम कभी पूरा नहीं कर सकते हैं, लेकिन इस परिवार के साथ हम उन्हें अपनेपन का एहसास जरूर करवाएंगे। भविष्य में जो भी मैं अपनी बेटी के लिए कर पाऊंगा, उससे मुझे

खुशी मिलेगी।

घर में शहीद की बेटी के प्रति नया संसार रचकर, आप खुद को किस भूमिका में अग्रसर पा रहे हैं और इस अनुभव की कसौटियों में आपकी रूपरेखा क्या है?

शहीद की बेटी को जबसे से मैने अपनी बेटी समझकर गोद ले लिया है, मैं अपने आप को तब से सौभाग्यशाली मान रहा हूं। वहीं समाज के अन्य लोगों से भी इसी भावना से काम करने की अपेक्षा रखता हूं।

जब देश के लिए कोई शहीद होता है, तो आपकी संवेदना में मानवता और राष्ट्रभावना किस स्तर तक प्रभावित करती हैं?

देश की सरहद पर कोई सैनिक शहादत पाता है तो मेरा हृदय पीड़ा से दहल उठता है और मानवता के आधार पर सरहद पर तैनात सैनिकों के लिए कुछ बेहतर कार्य करने का मन करता है।

जीवन के आदर्श आपको किस तरह संचालित करते हैं और प्रशासनिक सेवाओं में इनके मर्म को छूना कितना कठिन है?

प्रशासनिक सेवाओं के चलते कई बार हम समाज के कई विभिन्न कार्यक्रमों से वंचित रह जाते हैं, लेकिन मेरे जीवन के जो आदर्श हैं मैं उसी के तहत अपने आप को ढाल कर कार्य करता हूं।

आपके व्यक्तित्व के द्वार पर एक साथ कई तरह की उपलब्धियों का प्रवेश देखा जा सकता है, लेकिन आप खुद को कहां बेहतर पाते हैं?

जब किसी आम व्यक्ति के लिए अच्छा कार्य कर लेता हूं तथा व्यक्ति संतुष्ट हो जाता है, तो मैं अपने आप को बेहतर समझता हूं।

प्रशासनिक सेवाओं में मूल्यों की बात तो खूब होती है, लेकिन लक्ष्यों की विविधता में समय के दबाव को आप किस तरह काबू में रखते हैं?

प्रशासनिक सेवाओं में अगर लक्ष्य की बात की जाए, तो उन्हें हर परिस्थिति में हासिल करने की कोशिश की जाती है और मैं अपने  अधिकारियों के ऊपर बिना दबाव से कार्य करते हुए लक्ष्यों को आसानी से हासिल कर लेता हूं।

हिमाचल के किस पक्ष को आप मजबूत मानते हैं और जहां समाज आपको आकर्षित करता है?

हिमाचल के लोगों का स्वभाव अन्य राज्यों की अपेक्षा अच्छा है। यहां हर कोई व्यक्ति एक-दूसरे की सहायता करने की कोशिश करता है। इसी से मैं प्रभावित हूं।

शहीद की बेटी को गोद लेने से आपकी जिम्मेदारी को समझा जा सकता है। ऐसे में शहीदों के सम्मान में राष्ट्र और समाज क्या फर्ज निभा सकता है?

शहीदों के सम्मान में राष्ट्र और समाज के हर व्यक्ति को आगे आना चाहिए। मानवता के नाम पर  शहीद परिवारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहना चाहिए ताकि देश की सरहद पर तैनात सैनिक को यह अभ्यास हो कि पूरा देश वीर सैनिक के साथ पूरी तरह खड़ा है।

प्रशासनिक तौर पर राष्ट्र को कहां बुलंद और बिखरते हुए देखते हैं?

देश की आंतरिक सुरक्षा के साथ जब राजनीतिक दल राजनीति करते हैं, तो काफी पीड़ा होती है। राष्ट्र को बुलंद बनाने के लिए सबको एक साथ चलकर आगे बढ़ना होगा।

समाज की सबसे बड़ी चुनौती को आप कहां देखते हैं?

समाज में जिस तरह से युवा वर्ग नशे की ओर जा रहा है, वह सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। विभिन्न सामाजिक संस्थाओं को आगे आकर इसे रोकना जरूरी है।

आप अपना पद भूलकर किस आनंद को तरजीह देते हैं या प्रशासनिक दायित्व से हटकर आप जीवन को किस सांचे में सक्रिय रखते हैं?

समाज में रहकर मैं हर किसी व्यक्ति की जब सहायता करता  हूं तो दिल को एक सुकून मिलता है। प्रशासनिक दायित्व से हटकर मैं समाजसेवा में विश्वास रखता हूं।

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