शिमला — हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश के लिए रोस्टर प्रणाली किस तरह लागू होगी, इसे लेकर स्थिति विवि प्रशासन स्पष्ट नहीं कर पाया है। 20 मई को पीएचडी प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा विश्वविद्यालय द्वारा करवाई जानी है, पर अभी तक विवि राज्य की आरक्षण नीति के तहत रोस्टर तैयार ही नहीं कर पाया है। विश्वविद्यालय एक ओर प्रवेश के लिए आवेदन अभ्यर्थियों से लेने के बाद इस रोस्टर सिस्टम को लागू कर रहा है, दूसरी ओर अभी तक इस सिस्टम के तहत कितनी सीटें किस वर्ग के लिए निर्धारित होंगी, इसकी अधिसूचना विवि ने जारी नहीं की है। विश्वविद्यालय की इस लापरवाही पर जनजातीय छात्र संघ भी अपना विरोध जता रहा है। संघ इस बात पर अपना विरोध जता रहा है कि पीएचडी में यूजीसी विनियम 2016 के खंड 5.2.3 के तहत एमफिल, पीएचडी में प्रवेश के समय राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय आरक्षण नीति का अनुपालन करने की बात तो विश्वविद्यालय कर रहा है, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि किस विभाग में इस आरक्षण नीति के तहत कितनी सीटें एससी और एसटी वर्ग के लिए आरक्षित होंगी। एचपीयू ने जब पीएचडी की 226 सीटों के लिए प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन मांगे थे, तो उस समय रोस्टर सिस्टम यूजीसी के नियमों के तहत विवि ने लागू नहीं किया था। छात्रों द्वारा यह मामला उठाने पर विवि यूजीसी के नियमों के तहत अब इस रोस्टर को राज्य आरक्षण नीति के तहत लाने जा रहा है। इस पूरी प्रक्रिया को शुरू करने के लिए अभी तक विवि राज्य की आरक्षण नीति को जांचने में ही लगा है। यहां तक कि छात्र विरोध के बाद एसएसी व एसटी वर्ग के लिए रोस्टर सिस्टम लागू किया जा रहा है, लेकिन ओबीसी को अभी तक इसमें जिक्र ही नहीं है, नियमों के तहत इन छात्रों के लिए भी सीटें पीएचडी मे आरक्षित होनी हैं। विवि इस पूरे मामले पर यही तर्क दे रहा है कि आरक्षित सीटों पर स्थिति स्पष्ट होगी।
आवेदन को और समय देने की मांग
विवि प्रशासन आरक्षण नीति की स्थिति स्पष्ट किए बिना ही 20 मई को तय तिथि पर ही पीएचडी प्रवेश परीक्षा करवाने की बात कर रहा है। वहीं जनजातीय छात्र संघ प्रवेश तिथि में बदलाव कर एससी-एसटी सीटों को स्पष्ट रूप से बताने पर छात्रों को आवेदन करने के लिए समय देने की मांग कर रहा है।