36 पंचायतें, डाक्टर सिर्फ दो

तीसा —  चुराह उपमंडल की करीब 36 पंचायतों की चालीस हजार आबादी को स्वास्थ्य सुविधाएं देने वाले सिविल अस्पताल तीसा में चिकित्सकों व स्टाफ  की कमी ने गरीब जनता का मर्ज बढ़ाकर रख दिया है। अस्पताल में दो चिकित्सकों के जरिए ही व्यवस्था का संचालन किया जा रहा है। हालात ये हैं कि लेब टेक्नीशियन का पद छह वर्षों से रिक्त होने के चलते लोगों को महंगे खर्च पर बाहरी स्थानों पर महंगे खर्च पर टेस्ट करवाने पड़ रहे हैं। अस्पताल में लाखों रुपए की लागत से स्थापित अल्ट्रासाउंड मशीन भी खराब पड़ी हुई है। अस्पताल में फार्मासिस्ट के स्वीकृत दो पद भी अरसे से रिक्त पड़े हुए हैं। चीफ  फार्मासिस्ट का पद दस वर्षों से रिक्त पड़ा हुआ है। अस्पताल की सफाई व्यवस्था भी रामभरोसे है। हालात ये हैं कि तीसा अस्पताल में सुविधाओं की कमी के चलते लोग मजबूरन महंगे खर्च पर उपचार के लिए टांडा या चंबा जाने को मजबूर हो रहे हैं। वर्ष 2006 में तत्कालीन सरकार ने तीसा अस्पताल का दर्जा बढ़ाकर पचास बिस्तरों का कर दिया था, लेकिन तय मानकों के अनुसार स्वास्थ्य सुविधाएं जुटाने को लेकर कोई प्रयास नहीं हो पाए। जिस कारण अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का तंत्र बुरी तरह लड़खड़ा कर रह गया है। स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी इनसानी सेहत पर भारी पड़ रही है। जानकारी के अनुसार तीसा अस्पताल में चिकित्सकों के कुल चार पद स्वीकृत हैं, जिनमें दो पद काफी अरसे से रिक्त चले हुए हैं। जिस कारण अस्पताल में कार्यरत दो चिकित्सकों को ओवर वर्डन के साथ काम चलाना पड़ रहा है। अधीनस्थ स्टाफ  की कमी से कई मर्तबा उन्हें मरीजों के तीमारदारों के गुस्से का सामना भी करना पड़ता है। सिविल अस्पताल तीसा में रोजाना औसतन सौ के करीब मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं। मगर चिकित्सकों की कमी के चलते उन्हें घंटों ओपीडी के बाहर लाइनों में खडे होकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। बहरहाल, तीसा अस्पताल में स्टाफ व सुविधाओं की कमी से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देना प्रबंधन के लिए चुनौती बना हुआ है।

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