अफगान से ही सीखें

(अक्षित आदित्य, तिलक राज रादौर (हरियाणा))

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पाकिस्तान आने के निमंत्रण को न केवल ठुकरा दिया, बल्कि यहां तक कह दिया कि जब तक पाकिस्तान मजार-ए-शरीफ, काबुल की अमरीकन यूनिवर्सिटी और कंधार के हमलों में शामिल आतंकियों को अफगानितान के हवाले नहीं करता, तब तक वह पाकिस्तान में कदम नहीं रखेंगे। उल्लेखनीय है कि काबुल यात्रा पर गए आईएसआई प्रमुख जनरल नवीद मुख्तार और नेशनल असेंबली अध्यक्ष अयाज सादिक ने गनी को पाकिस्तान यात्रा के लिए आमंत्रित किया था। आतंकवाद पर अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के कड़े रुख से भारत को सीख लेनी चाहिए। अफसोस कि हम पाकिस्तान के साथ सामान्य संपर्क भी निरंतर बनाए रखे हुए हैं, जबकि देश की जनता पाकिस्तान से किसी भी प्रकार के संपर्क के खिलाफ है। सत्ता में आने से पहले भाजपा कांगे्रस को पाकिस्तान के खिलाफ तरह-तरह की कार्रवाइयों की नसीहतें दिया करती थी, लेकिन चुनावों से पहले कही  एक भी बात पर भाजपा कार्रवाई नहीं कर पाई है।

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