आपदा प्रबंधन के लिए ट्रेंड हों इंजीनियर

शिमला में सम्मेलन के दौरान बोले मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह

शिमला – सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के इंजीनियर विशेषकर सिविल इंजीनियरों को आपदा प्रबंधन तकनीकों का प्रशिक्षण देना चाहिए, ताकि प्रदेश के शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन के आदर्श रूप को लागू किया जा सके। यह बात मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आपदा जोखिम में कमी लाने के लिए सेंदाई ढांचे के कार्यान्वयन पर दो दिवसीय राज्य स्तरीय सम्मेलन के समापन समारोह पर कही। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत स्तर पर शहरी क्षेत्रों में वार्ड स्तर पर समुदायों को संभावित आपदा बारे जागरूकता व जानकारी प्रदान की जानी चाहिए, ताकि विशेषकर जनसंख्या बाहुल्य क्षेत्रों में आपदा के लिए पर्याप्त तैयारी की जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सम्मेलन से विचारों तथा अनुभवों का आदान-प्रदान भवनों के निर्माण में बचाव नीति तथा आपदा में कमी व प्रबंधन में सहायता मिलेगी। आपदा का सुनिश्चित समय जान पाना कठिन है, परंतु इससे निपटने के लिए तैयार रहने से नुकसान को कम किया जा सकता है। पहाड़ी राज्य होने के कारण प्रदेश में कई आपदाओं का खतरा बना रहता है। आगजनी, बाढ़, भू-स्खलन के अलावा प्रदेश में भूकंप की संभावना भी बनी रहती है। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में प्रदेश के सभी हितधारकों के शामिल होने से भवन सहभागिता के लिए बहुक्षेत्रीय तथा बहु अनुशासनिक प्रणाली को स्थापित करने तथा पुनः स्थिति बहाल करने की नीति अपनाने में भी सहायता मिलेगी। प्रदेश सरकार ने आपदा राहत दिशा-निर्देशों के दृष्टिगत प्रदेश राहत मैनुअल प्रक्रिया की समीक्षा तथा उन्नयन की पहल की।

योजना भी तैयार

संभावित आपदा के दृष्टिगत राज्य व जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन योजना तैयार की गई है। आपदा प्रबंधन के विशेष सचिव डीडी शर्मा ने कहा कि राज्य स्तरीय सम्मेलन का उद्देश्य पुनः स्थिति बहाल करने की योजना बनाना तथा स्थानीय स्तर पर सेंदाई ढांचे का कार्यान्वयन करना है। इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव नरेंद्र चौहान, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के आपातकालीन विश्लेषक जी पद्मानभन, सांख्यिकी विभाग के आर्थिक सलाहकार प्रदीप चौहान, सभी जिलों के उपायुक्त, अतिरिक्त उपायुक्त आदि मौजूद रहे।